Senior Advocates: सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को लेकर आज एक बड़ा फैसला लिया है. पिछले काफी समय से उनके द्वारा इसकी मांग की जा रही थी. इसके लिए पीआईएल दायर किया गया था. कुछ दिन पहले खबर आई कि कोर्ट ने वकील को सीनियर पोस्ट देने के फैसले को मनमानी या अनुचित बताने वाली याचिका को रिजेक्ट कर दिया था. कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, 19 अक्टूबर यानी आज कुल 535 वकीलों को सीनियर वकील का दर्जा दिया है. आज की स्टोरी में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि सीनियर वकील किसे कहते हैं और उसके लिए क्या प्रावधान किया गया है?


सीनियर वकील बनने के बाद क्या बदल जाता है?


एडवोकेट एक्ट की सेक्शन 16 कहती है कि वकीलों के दो वर्ग होंगे. पहला सीनियर वकील और दूसरा अन्य वकील. वकील को सीनियर वकील का दर्जा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट चाहे तो ऑफर कर सकता है. धारा 23 (5) बताती है कि सीनियर वकीलों से किसी केस को फाइल करने का अधिकार छीन लिया जाता है, वह उसे सिर्फ सेटल कर सकते हैं या फिर केस के लिए जिरह कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील संदीप मिश्रा ने एबीपी को बताया कि नॉर्मल वकीलों की तुलना में सीनियर वकील से एक पावर छीन लिया जाता है कि वह केस फाइल नहीं कर सकते हैं. हालांकि उनके द्वारा जिरह किए जा रहे केस को कोर्ट प्रायोरिटी के साथ सुनता है. अधिक समय भी देता है. कोर्ट इन वकीलों से किसी निर्णय के लिए सलाह भी लेता है. 


सीनियर वकील कौन बन सकता है?


जब हमने मिश्रा से यह सवाल पूछा कि क्या सीनियर वकील का दर्जा हासिल करने के लिए उम्र की कोई क्राइटेरिया तय की गई है? उन्होंने इसको लेकर जवाब दिया कि इसके लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं है. कोर्ट इस बात को ध्यान में रखता है कि उस वकील की कोर्ट में उपस्थिति कितनी है और वह कितना केस लड़ा है, कैसा केस रहा है और उसमें क्या निर्णय लिया गया है. किसी भी वकील को सीनियर का दर्जा लेने के लिए हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देना पड़ता है. उसके बाद उनके आवेदन को रिव्यू करता है और फिर लिस्ट जारी करता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बार जिन 535 वकीलों को सीनियर वकील का दर्जा दिया गया है. कोर्ट उन्हें वरीयता दी जाएगी और उनके स्पेशियलिटी से संबंधित किसी केस में उनका सलाह भी लेगा. 


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