दक्षिण दिल्ली का एक गांव जहां पर पहलवानी और जिम लोगों के रग-रग में बसा है. गांव के लोग दिनभर में दो बार रेगुलर व्यायाम करते ही हैं. पारंपरिक मिट्टी में होने वाली कुश्ती के अलावा इस गांव के लोग अजीबोगरीब फिटनेस तकनीकों के लिए भी जाने जाते हैं, मोटर साइकिल उठाना, ट्रैक्टर खींचना और एक दूसरे को कंधे पर उठाना जैसे कारनामें यहां दिन भर चलते रहते हैं. इस गांव को असोला-फतेहपुर बेरी के नाम से जाना जाता है. यह वही गांव है, जिसे गूगल पर दुनिया का सबसे स्ट्रॉन्गेस्ट गांव बताया गया है. 

इन युवाओं के फिटनेस का राज

यहां के युवा एक स्ट्रिक्ट रूटीन को फॉलो करते हैं, जिसमें वह सुबह और शाम को दो-दो घंटे जिम और पहलवानी करते हैं. इस गांव में बच्चों को शुरुआत से ही पहलवानी और व्यायाम के लिए तैयार किया जाता है. शाकाहारी रूटीन को फॉलो करने के कारण यहां के लोग मानसिक रूप से भी स्वस्थ होते हैं. इस गांव के पहलवान अपने आहार में दूध, दही, सूखे मेवे और प्रोटीन से भरे प्रोडक्टस उपयोग करते हैं. ये युवा शराब और धुम्रपान से भी काफी दूर रहते हैं. दिल्ली NCR में बढ़ता दबदबा 

असोला-फतेहपुर बेरी के युवा दिल्ली NCR के ज्यादातर क्लबों में बॉडी गार्ड या बाउंसर के तौर पर काम कर रहे हैं. इनकी हेवी बॉडी और शांत स्वभाव के कारण इनको बड़ी-बड़ी कम्पनियां हायर कर रही हैं. बांउसर और बॉडी गार्ड के प्रोफेशन को यहां के युवा काफी शौक से अपना रहे हैं. इसे देशभर में लोग बाउंसर फैक्ट्री के नाम से जानते हैं. विजय तंवर नाम के पहलवान ने 1995 में यहां सबसे पहले बांउसर की नौकरी की थी.

फिटनेस का क्या है राज? 

इस गांव के फिटनेस का रहस्य क्या है? लोगों के अनुसार ये सब हार्ड डिसिप्लिन का नतीजा है. इस अनुशासन के कारण ही आज यहां के युवा बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं में भी खूब पुरूस्कार जीत रहे हैं. आज बड़ी-बड़ी कंपनियां और क्लब इन युवाओं को साइन करने के लिए इच्छुक नजर आ रहे हैं.

GEN Z के लिए असोला-फतेहपुर बेरी एक मोटिवेशनल गांव बन कर सामने आया है. इस गांव ने फिटनेस के साथ-साथ डिसिप्लिन में भी दुनिया भर में नाम कमाया है. यह गांव लोगों के लिए हार्ड वर्क और डेडिकेशन का जीता जागता उदाहरण देता है.

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