सांप का नाम सुनते ही दिमाग में डर, मौत और जहर की तस्वीर उभर आती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वही जहर, जिससे लोग कांप उठते हैं, वही हजारों लोगों की जान भी बचा रहा है. विज्ञान की नजर में सांप का जहर सिर्फ विनाश नहीं, बल्कि इलाज का खजाना है. दिल, दिमाग, खून और नसों से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों की दवाओं की कहानी इसी जहर से शुरू होती है. यही वजह है कि आज सांप का जहर मेडिकल दुनिया के लिए अनमोल बन चुका है.

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डर से दवा तक का सफर

सदियों पहले इंसान को यह अहसास हो गया था कि जहर सिर्फ मारता नहीं, सही मात्रा और सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो वही जीवन रक्षक बन सकता है. सांप का जहर एंजाइम्स और प्रोटीन का जटिल मिश्रण होता है, जो शरीर के तंत्रिका तंत्र, हृदय और रक्त प्रणाली पर सीधा असर डालता है. यही गुण वैज्ञानिकों के लिए इलाज का रास्ता खोलते हैं.

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एंटी-वेनम भी जहर से ही

दिलचस्प बात यह है कि सांप के काटने का जो एकमात्र प्रभावी इलाज एंटी-वेनम सीरम है, वह भी सांप के जहर से ही तैयार किया जाता है. यानी जहर का जवाब जहर से ही दिया जाता है. नियंत्रित प्रक्रिया के तहत जहर को शुद्ध किया जाता है और फिर उससे प्रतिविष बनाया जाता है, जो हजारों सर्पदंश पीड़ितों की जान बचाता है.

दिल की दवाओं में छुपा सांप

आधुनिक मेडिकल साइंस में सांप के जहर से बनी कई दवाएं इस्तेमाल हो रही हैं. हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक में दी जाने वाली कैप्टोप्रिल जैसी दवा साउथ अमेरिका में पाए जाने वाले पिट वाइपर के जहर से विकसित की गई. यह दवा दुनिया भर में लाखों मरीजों के लिए जीवन रेखा बनी हुई है. वैज्ञानिक मानते हैं कि यह शायद इतिहास में किसी जानवर से बनी सबसे ज्यादा जान बचाने वाली दवा है.

खून और दिमाग के इलाज में भूमिका

सांप के जहर का इस्तेमाल सिर्फ दिल तक सीमित नहीं है. कुछ दवाएं खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती हैं, जिससे स्ट्रोक और रक्त संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है. मलेशियन पिट वाइपर और रैटलस्नेक जैसी प्रजातियों के जहर से बनी दवाएं ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर और सर्जरी के दौरान खून बहने की समस्या में कारगर साबित हुई हैं.

प्राचीन इलाज से आधुनिक प्रयोगशाला तक

इतिहास बताता है कि प्राचीन समय में भी सांप के जहर का इस्तेमाल इलाज के लिए किया जाता था. पुराने विषनाशक मरहम और दवाओं में इसका उपयोग होता था. आज वही सोच आधुनिक लैब्स में नई तकनीक के साथ लौट आई है. वैज्ञानिक अब जहर के हर छोटे घटक का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि नई दवाओं की संभावनाएं तलाशी जा सकें.

सिर्फ सांप ही नहीं

दिलचस्प यह भी है कि इलाज के लिए सिर्फ सांप ही नहीं, बल्कि जहरीली छिपकली, जेलीफिश, ततैया और कैटरपिलर जैसे जीवों के जहर पर भी रिसर्च हो रही है. अमेरिका में पाई जाने वाली गिला मॉन्स्टर छिपकली की विषैली लार से डायबिटीज की दवा पर काम चल रहा है. यह दिखाता है कि प्रकृति में छुपा जहर इंसान के लिए वरदान भी बन सकता है.

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