India SIR: देश में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर चुनाव आयोग फेज 2 शुरू करने जा रहा है. दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन शुरू करने का ऐलान कर दिया है. इसका मतलब है अब इन जगहों पर मतदाता सूची की गहन जांच, अपडेट और सुधार की प्रक्रिया चलेगी ताकि अगले चुनाव से पहले हर वोटर का डेटा एकदम सटीक रहे.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि एसआईआर का दूसरा चरण जल्द ही शुरू किया जा रहा है. लेकिन क्या आपको पता है एक राज्य में SIR करवाने में चुनाव आयोग कितना खर्चा करता है. चलिए जानें कि पूरे देश में इसके लिए कितने रुपये खर्चा हो सकते हैं.
चुनाव के लिए अनुमानित खर्चा
सियासी और चुनावी विश्लेषकों के मुताबिक, एक राज्य में विधानसभा चुनाव करवाना विभिन्न लागतों से जुड़ा है- मतदान केंद्र, अधिकारी व कर्मचारी रीलोकेशन, सुरक्षा, ईवीएम-वीवीपैट, परिवहन, प्रचार आदि. हालांकि ECI ने बारीक आंकड़े सार्वजनिक रूप से नहीं दिए हैं कि एक राज्य में केवल आयोग का खर्च कितना होगा.एक पुरानी जानकारी के मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लगाए गए खर्च के लिए अनुमानित मांग 1,114.35 करोड़ रुपये थी.
विस्तृत प्रक्रिया है SIR
यह सिर्फ एक केंद्रीय प्रायोजन वाली राशि थी और राज्य द्वारा खर्च को शामिल नहीं करता है. दूसरी रिपोर्ट में बताया गया कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भारत में मतदान प्रति वोट करीब 700 रुपये लगे, अर्थ यह निकलता है कि जिस राज्य में मतदान बहुत ज्यादा हों, वहां खर्च लाखों वोटर्स के लिए बड़ी राशि होगी. SIR एक बहुत-सी विस्तृत प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची की गहन समीक्षा, घर-घर सत्यापन, पुराने मतदाताओं की जानकारी अपडेट करना, फर्जी प्रविष्टियों को हटाना आदि शामिल हो सकते हैं.
कितना हो सकता है बजट
प्रत्येक राज्य की आबादी, मतदाताओं की संख्या, भौगोलिक चुनौतियां (जैसे पहाड़ी, द्वीप, आदिवासी क्षेत्र), मतदान केंद्रों की संख्या, प्रशासन एवं कर्मियों की संख्या आदि बहुत भिन्न-भिन्न होते हैं. इसलिए सभी राज्यों में खर्च एक-सा कहना उचित नहीं होगा. ECI या संबंधित राज्य चुनाव आयोग ने वर्तमान में SIR-प्रक्रिया के लिए अलग-से बजट विस्तार नहीं किया है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो.
सैकड़ों करोड़ तक जा सकता है खर्चा
मान लें कि एक राज्य में मतदाता संख्या बहुत अधिक है, वहां कई बूथ-स्थिति हैं, दूरदराज इलाके हैं. ऐसे में बड़ी-संख्या में सत्यापन एवं घर-घर सर्वे किया जाना है, तो उस राज्य में SIR-प्रक्रिया का खर्च सैकड़ों करोड़ रुपये तक हो सकता है. लेकिन यह सिर्फ एक अनुमान है, वास्तविक खर्च इससे बहुत कम या बहुत ज्यादा हो सकता है, स्थिति पर निर्भर करता है.
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