मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को घोषणा की कि बिहार में सफलता के बाद अब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का अगला चरण देश के 12 राज्यों में शुरू होने जा रहा है, जिनमें उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि यह अभियान मंगलवार से एक साथ इन राज्यों में शुरू होगा. आयोग के अनुसार, इस दूसरे फेज के दौरान मतदाता सूची को नए सिरे से अपडेट किया जाएगा. जिन लोगों का नाम अभी तक सूची में दर्ज नहीं है, उन्हें शामिल किया जाएगा, जबकि पहले से दर्ज रिकॉर्ड में अगर कोई गलती है तो उसे ठीक करने की प्रक्रिया भी इसी चरण में पूरी होगी. 

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चलिए इसी क्रम में जान लेते हैं कि आखिर न्यूमेरेशन फॉर्म क्या होता है और इसमें क्या-क्या जानकारी देनी होती है. चलिए आपको इसके बारे में सबकुछ विस्तार से बताते हैं.

वोटर लिस्ट में कैसे नाम जोड़ता है चुनाव आयोग

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क्या आपने कभी सोचा है कि आपका नाम वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ता है? या चुनाव आयोग आपके पते और पहचान की पुष्टि कैसे करता है? इसका जवाब छिपा है एक फॉर्म में जिसका नाम है न्यूमेरेशन फॉर्म.  यह वही दस्तावेज है जो आपकी नागरिकता और मतदाता पहचान दोनों की नींव रखता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसे कैसे भरा जाता है, कहां से मिलता है और इसमें क्या जानकारी देनी होती है. 

हर भारतीय के लिए जरूरी है न्यूमेरेशन फॉर्म

भारत में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान न्यूमेरेशन फॉर्म को लेकर लोगों में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. आखिर यह फॉर्म क्या है, क्यों जरूरी है और इसमें क्या-क्या भरना होता है, यही जानना हर नागरिक के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. चुनाव आयोग के मुताबिक, न्यूमेरेशन फॉर्म एक ऐसा दस्तावेज है जो यह सुनिश्चित करता है कि आपके व्यक्तिगत और पारिवारिक विवरण सही तरीके से मतदाता सूची में दर्ज हों. इसे भरने के बाद आपके रिकॉर्ड को बीएलओ द्वारा सत्यापित किया जाता है. यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होती है और हर भारतीय नागरिक के लिए जरूरी है, जो वोट देने का अधिकार रखता है.

क्या है न्यूमेरेशन फॉर्म?

न्यूमेरेशन फॉर्म चुनाव आयोग द्वारा तैयार किया गया एक विस्तृत दस्तावेज है, जिसमें व्यक्ति से उसकी पहचान, निवास स्थान, पारिवारिक विवरण, जन्मतिथि और नागरिकता से जुड़ी जानकारी मांगी जाती है. यह फॉर्म Form-6 जैसा ही है, लेकिन इसमें मतदाता सूची के पुनरीक्षण से जुड़ी विस्तृत जानकारी शामिल होती है.

इसमें क्या-क्या जानकारी देनी होगी?

इस फॉर्म में आपको कुछ बुनियादी और कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देनी होती हैं- 

  • पूरा नाम (हिंदी और अंग्रेजी दोनों में)
  • पिता, माता या पति/पत्नी का नाम
  • स्थायी और वर्तमान पता
  • जन्मतिथि और उम्र
  • मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी (वैकल्पिक)
  • पहचान पत्र नंबर (जैसे आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस)
  • शैक्षणिक योग्यता और व्यवसाय
  • अगर पहले से किसी अन्य क्षेत्र में नाम दर्ज है, तो उसकी जानकारी भी देनी होगी

यह फॉर्म कहां से मिलेगा और कैसे भर सकते हैं?

न्यूमेरेशन फॉर्म दो तरीकों से हासिल किया जा सकता है- ऑफलाइन और ऑनलाइन।

ऑफलाइन प्रक्रिया:

आप अपने क्षेत्र के बीएलओ से सीधे संपर्क कर सकते हैं. ये अधिकारी आपके वार्ड या गांव में नियुक्त रहते हैं. वे आपको यह फॉर्म देंगे, जिसे आप हाथ से भर सकते हैं. फॉर्म भरने के बाद आवश्यक दस्तावेज (जैसे पहचान पत्र और पते का प्रमाण) के साथ उन्हें सौंपना होता है.

ऑनलाइन प्रक्रिया:

अगर आप घर बैठे इसे भरना चाहते हैं तो राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) की वेबसाइट https://www.nvsp.in  पर जाएं. वहां Form for Inclusion/Correction सेक्शन में जाकर आवश्यक विवरण भरें, डॉक्यूमेंट अपलोड करें और सबमिट करें. सबमिशन के बाद आपको एक रसीद नंबर मिलेगा जिससे आप अपने आवेदन की स्थिति ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं.

आपका बीएलओ कौन है और कहां से चलेगा इसका पता?

अक्सर लोगों को यह नहीं पता होता कि उनका बीएलओ कौन है. इसकी जानकारी भी बहुत आसान है. आप NVSP पोर्टल या वोटर हेल्पलाइन ऐप पर जाकर अपने जिले और निर्वाचन क्षेत्र का नाम डालें. वहां Know Your BLO ऑप्शन पर क्लिक करें. आपको बीएलओ का नाम, मोबाइल नंबर और ऑफिस का पता दिख जाएगा.

क्यों जरूरी है यह फॉर्म?

न्यूमेरेशन फॉर्म न सिर्फ यह सुनिश्चित करता है कि आपका नाम मतदाता सूची में सही दर्ज है, बल्कि यह भी साबित करता है कि आप भारतीय नागरिक हैं और सही निर्वाचन क्षेत्र से वोट डालने के पात्र हैं. यह प्रक्रिया देश में पारदर्शी चुनाव व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है.

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