दिल्ली के लोगों और केंद्र सरकार के माथे पर बल पड़ने लगा है. इसका कारण हैं वो किसान जो दूसरे किसान आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं. उन्होंने इस आंदोलन को चलो दिल्ली मार्च नाम दिया है. ऐसे में सरकार दिल्ली की सीमाओं पर खास इंतजाम करने में जुट गई है. खासतौर से सिंघु बॉर्डर पर सरकार और प्रशासन ज्यादा सतर्क है. चलिए अब आपको बताते हैं कि सिंघु बॉर्डर में सिंघु का मतलब क्या है और दिल्ली की इस सीमा को सिंघु बॉर्डर ही क्यों कहा जाता है.


सिंघु बॉर्डर नाम कैसे पड़ा


दरअसल, सिंघु एक गांव है जो दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर है. इसी गांव से दिल्ली खत्म होती है और हरियाणा शुरू हो जाता है. हरियाणा और पंजाब के ज्यादातर किसान इसी बॉर्डर से दिल्ली में प्रवेश करते हैं. पहले वाले किसान आंदोलन के दौरान भी ये बॉर्डर एक साल से ज्यादा समय तर बंद रहा था. इससे दिल्ली और हरियाणा दोनों राज्यों के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.


एक साल तक बन गया था मिनी पंजाब


पहले किसान आंदोलन के दौरान सिंघु बॉर्डर लगभग 380 दिनों तक बंद था. यहां हर तरफ बैरिकेड्स लगा दिए गए थे. इस बॉर्डर के आसपास किसानों ने अपने टेंट लगा दिए थे और यहीं तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे. अब फिर से इस बॉर्डर पर बैरिकेड्स और कंटीले तार लगाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. दरअसल, देश भर के किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली चलो मार्च का आव्हान किया है.


हरियाणा के किसानों को रोकने के लिए बड़ी तैयारी


हरियाणा सरकार ने अपने राज्य के किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कई तरह के तरीके अपनाए हैं. सबसे पहला कदम तो इंटरनेट बंद कर के उठाया गया है. आपको बता दें, हरियाणा के 7 जिलों में सुबह 6 बजे से मोबाइल इंटरनेट, डोंगल और बल्क एसएमएस बंद कर दिए गए हैं. ये सात जिले अंबाला, हिसार, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, डबवाली और सिरसा है.


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