गाने गाना और गुनगुनाना हर किसी व्यक्ति को अच्छा लगता है और एक अलग प्रकार का सुकून भी मिलता है. आधुनिक जीवन की भागदौड़ के बीच एक पल ऐसा आता है जब कोई व्यक्ति अपने मन को शांत या अपने दिल में छिपी किसी बीते पल की याद को दोबारा से जीवन देना या फिर से उन्हीं अच्छे पलों को जीने के लिए गाने को गुनगुनाता है जो मन और मस्तिष्क दोनों को आराम और शांति प्रदान करता है.

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हालांकि, अब ये सिर्फ कहने वाली बात नहीं है. दुनिया भर के वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गाना गाना सिर्फ एक कला नहीं है बल्कि ये अपने आपको शांत और खुश रखने की एक प्राकृतिक कला भी है और ये हमें कई बीमारियों से बचने और लड़ने की शक्ति देता है.

वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं?

कई वैज्ञानिक शोध के अनुसार, संगीत सुनने या गाने से कई बीमारियों से बचाव और असर को कम करने में भी मदद मिलती है. रिपोर्ट्स की मानें तो संगीत या गाना हर उम्र के लोगों को, चाहे बच्चे हों या बूढ़े, अगर उनकी ब्रेन सर्जरी हुई है तो उस सर्जरी के असर से मरीज को उबरने में मदद कर सकता है.

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स्ट्रोक के मरीजों पर संगीत का असर

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, संगीत स्ट्रोक से पीड़ित लोगों को अफेजिया नाम की बीमारी से उबरने या लड़ने में मदद करता है. यह बीमारी स्ट्रोक से पीड़ित लगभग एक तिहाई लोगों को होती है जो बोलने और सुनने की क्षमता को प्रभावित करती है.

म्यूजिक थेरेपी कैसे काम करती है?

म्यूजिक थेरेपी एक ऐसी थेरेपी है जिसमें मरीज को संगीत सुनाया जाता है. मरीज को संगीत तेज या मध्यम आवाज में सुनाया जाता है. इस थेरेपी का मकसद दवाओं के प्रभाव को बढ़ाना है जिससे मरीज जल्दी स्वस्थ हो सके. डॉक्टरों का मानना है कि गाना गाने या ग्रुप में गाने से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और हमारी दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर पर भी सकारात्मक असर देखने को मिलता है.

लंबे समय से बीमार मरीजों पर ग्रुप सिंगिंग का असर

शोधकर्ता बताते हैं कि लंबे समय से बीमार रहने वाले लोगों पर ग्रुप में गाने का जो सकारात्मक असर पड़ता है, उसे अक्सर महत्व नहीं दिया जाता. विशेषज्ञों का कहना है कि जब ऐसे लोग साथ में गाते हैं तो उनका ध्यान अपनी कमजोरियों या सीमाओं से हटकर उन चीज़ों पर जाता है जिन्हें वे आज भी कर सकते हैं.

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