उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा सिख समुदाय के प्रति कथित आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने के बाद राजधानी देहरादून में विरोध की लहर उठ खड़ी हुई है. शनिवार को सिख समाज से जुड़े लोगों ने घंटाघर चौक पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए हरक सिंह रावत का पुतला दहन किया और कड़ी नाराज़गी जताई.

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विवाद की शुरुआत शुक्रवार को हुई, जब हरक सिंह रावत हरिद्वार रोड स्थित धरनास्थल पर वकीलों की हड़ताल का समर्थन करने पहुंचे थे. इसी दौरान एक सिख वकील के खड़े होने पर हरक सिंह रावत ने उन्हें बैठने के लिए कहा. उपस्थित कुछ लोगों ने इसे सिख समुदाय के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी के रूप में लिया, जिसके बाद माहौल गरमा गया और धरनास्थल पर हंगामा शुरू हो गया. बढ़ते विवाद को देखते हुए हरक सिंह रावत को माफी मांगनी पड़ी और वे तुरंत धरनास्थल छोड़कर चले गए.

हरक सिंह रावत ने मांगी माफ़ी

शाम को हरक सिंह रावत जिला अदालत परिसर स्थित बार एसोसिएशन कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने वकीलों के सामने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि उनकी किसी भी टिप्पणी का मकसद किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को आहत करना नहीं था. उन्होंने स्पष्ट किया कि संबंधित वकील से उनके व्यक्तिगत संबंध पहले से ही अच्छे हैं और उनके बयान का गलत अर्थ निकाल लिया गया. हरक ने कई बार दोहराया कि यदि किसी को उनकी बात से ठेस पहुँची है तो वे इसके लिए दिल से क्षमा चाहते हैं.

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हरक सिंह रावत ने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणी का आशय न तो किसी का अपमान करना था और न ही किसी धर्म या समुदाय को निशाना बनाना. उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के शौर्य और बलिदान का इतिहास देश के लिए प्रेरणा रहा है और वे स्वयं उनके प्रति सम्मान रखते हैं.

सार्वजनिक मांफी की मांग

हालांकि, सिख समाज के लोगों ने उनके स्पष्टीकरण को पर्याप्त नहीं माना और आरोप लगाया कि सार्वजनिक मंच पर ऐसी टिप्पणी किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि हरक सिंह रावत इस मामले में स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से सिख समाज से माफ़ी मांगें.

फिलहाल मामला राजनीतिक हलकों से लेकर सामाजिक संगठनों तक चर्चा का विषय बना हुआ है और आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है.