Saudi Arabia Defence : सऊदी अरब और पाकिस्तान ने हाल ही में एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत किसी एक देश पर भी हमला दोनों देशों पर माना जाएगा. दोनों देशों की तरफ से यह कदम सैन्य और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करने जा रहा है. इसके बाद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में बढ़ोतरी होगी और साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर शांति को भी प्राथमिकता दी जाएगी.
संयुक्त रक्षा और रणनीतिक सहयोग
यह नया समझौता रक्षा सहयोग के अलग-अलग पहलुओं को बढ़ाने पर केंद्रित है. इसमें खुफिया जानकारी को साझा करना और संयुक्त सैन्य अभ्यास शामिल हैं. इसके तहत दोनों देशों की रणनीतिक स्थिति मजबूत होगी और साथ ही आर्थिक और राजनीतिक संपत्तियों की रक्षा में भी साझा सुरक्षा हितों को महत्व दिया जाएगा. लेकिन इसी बीच आपको बता दें कि अगर कभी सऊदी अरब पर हमला होता है तो पाकिस्तान से भी पहले एक ऐसा शक्तिशाली देश है जो अपने खास समझौते की वजह से सऊदी अरब का साथ देगा.
संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका
सऊदी और पाकिस्तान का समझौता महत्वपूर्ण है लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका से जुड़ा समझौता भी काफी खास है. दरअसल दशकों से अमेरिका ने सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर और यूएई सहित छ खाड़ी देशों के साथ रक्षा समझौता किया हुआ है. इस समझौते के तहत अमेरिका तेल और गैस जैसे ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच के बदले इन खाड़ी देशों को सुरक्षा गारंटी प्रदान करता है. इसका सीधा मतलब है कि सऊदी अरब पर हमले की स्थिति में अमेरिका अपने लंबे समय से चले आ रहे रणनीतिक और आर्थिक दायित्वों की वजह से पाकिस्तान से पहले खड़ा हो सकता है।
पाकिस्तान के लिए फायदा
पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब के साथ हुआ यह समझौता उसके रणनीतिक संबंधों को तो मजबूत करता ही है साथ ही क्षेत्र में एक प्रमुख सुरक्षा भागीदार के रूप में उसकी भूमिका को भी पक्का करता है. सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के रणनीतिक भागीदार हैं. खास तौर से अमेरिकी सेंट्रल कमांड के परिचालन क्षेत्र में. उनका सहयोग क्षेत्र की स्थिरता और एनर्जी कॉरिडोर की सुरक्षा जैसे अमेरिकी सुरक्षा उद्देश्यों के साथ मेल खाता है. इस वजह से यह समझौता मौजूदा अंतरराष्ट्रीय रक्षा व्यवस्थाओं को और भी मजबूत बना देगा.
यह भी पढ़ें: चीन के मुकाबले 1962 में कितनी मजबूत थी भारत की वायु सेना, क्या सच में आज ड्रैगन पर होता अपना कब्जा