बिहार की राजनीति इन दिनों एक नए मोड़ से गुजर रही है. करीब दो दशक तक गृह मंत्रालय संभालने वाले नीतीश कुमार से यह जिम्मेदारी अब सम्राट चौधरी को मिल चुकी है. उनकी छवि तेज, दो टूक और आक्रामक मानी जाती है. लेकिन असली सवाल यह है कि गृहमंत्री बनते ही उनकी सैलरी में कितना इजाफा हुआ है? क्या यह MLA की सैलरी से बहुत ज्यादा है? इनके जिम्मे अब कानून-व्यवस्था की बड़ी कुर्सी है, लेकिन उतनी ही चर्चित है उनकी बढ़ी हुई तनख्वाह. आइए इसके बारे में समझ लेते हैं.

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अब कितनी होगी सम्राट चौधरी की सैलरी? बिहार के मुख्यमंत्री सचिवालय की वर्तमान सैलरी संरचना के अनुसार, किसी भी मंत्री को हर महीने 65 हजार रुपये का मूल वेतन मिलता है. इसके साथ 70 हजार रुपये का क्षेत्रीय भत्ता अलग से जुड़ता है. यानी यह दोनों मिलाकर 1 लाख 35 हजार रुपये की तय मासिक राशि होती है. इसके अलावा 3500 रुपये का दैनिक भत्ता भी रोजाना मिलता है. मंत्री के रूप में मिलने वाला गेस्ट अलाउंस भी तय है. राज्य मंत्रियों के लिए साढ़े 29 हजार रुपये और उपमंत्रियों के लिए 29 हजार रुपये तय किए गए हैं.

कब जारी हुई थी नई सैलरी?

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इन बढ़ी हुई सैलरी और भत्तों का कारण अप्रैल 2025 में हुई वह कैबिनेट बैठक है, जिसमें सरकार ने मंत्रियों के वेतन और भत्तों को 30 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया था. उस समय मंत्रियों की सैलरी को लेकर आधिकारिक प्रेस नोट मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर ने जारी किया गया था. इससे पहले मंत्रियों का वेतन सिर्फ 50 हजार रुपये, क्षेत्रीय भत्ता 55 हजार रुपये, दैनिक भत्ता 3000 रुपये तथा गेस्ट अलाउंस 24 हजार रुपये था. यानी अब की तुलना में यह स्पष्ट है कि कुल रकम में काफी बढ़ोतरी की गई है.

विधायकों की कितनी होती है सैलरी?

दूसरी ओर, बिहार में एक MLA की मासिक सैलरी लगभग डेढ़ लाख रुपये होती है. लेकिन जैसे ही कोई विधायक मंत्री बनता है, उसका कुल वेतन और भत्ता बढ़कर लगभग ढाई लाख रुपये के करीब पहुंच जाता है. यह बढ़ोतरी सिर्फ वेतन के कारण नहीं, बल्कि क्षेत्रीय भत्ते, दैनिक भत्तों और गेस्ट अलाउंस जैसी अतिरिक्त सुविधाओं की वजह से होती है. इतना ही नहीं, मंत्री के पद पर रहते हुए उन्हें यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर, हवाई जहाज या विशेष ट्रेन का उपयोग करने की सुविधा भी मिलती है, जिसका खर्च अलग से ट्रैवल भत्ते के रूप में दिया जाता है. यह सुविधा सामान्य विधायकों को नहीं मिलती है.

साफ है कि गृहमंत्री बनने के बाद सम्राट चौधरी की सैलरी न केवल MLA से अधिक है बल्कि अवसर, सुविधाएं और प्रोटोकॉल भी कई गुना बढ़ जाते हैं. राजनीतिक जिम्मेदारी तो बड़ी है, और उसी अनुपात में मिलने वाली सुविधाएं भी बढ़ गई हैं.

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