Same Sex Marriage: सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है. भारत में फिलहाल ऐसे जोड़ों को शादी का अधिकार नहीं दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया. भारत के अलावा दुनिया के कई देशों मे भी समलैंगिक विवाह को लेकर बहस चलती रही है. भले ही कुछ देशों ने ऐसी शादियों को मंजूरी दी है, लेकिन ज्यादातर देशों में इसे मान्यता नहीं दी गई है. इसे एक जुर्म की तरह माना जाता है. इस बहस के बीच हम आपको उस आपदा की कहानी बता रहे हैं, जिसकी वजह से समलैंगिक संबंधों को लेकर नफरत का दौर शुरू हुआ. 


तूफान के बाद शुरू हुआ सिलसिला
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 350 से ज्यादा साल पहले समलैंगिकता जैसी चीजें सामने आईं थीं और इन्हें एक जुर्म की तरह देखा गया. 1674 में उत्तर-पश्चिम यूरोप में एक भयंकर तूफान आया था, नीदरलैंड के शहर यूट्रेक्ट में इस तूफान ने जमकर तबाही मचाई थी. यहां तमाम इमारतें टूट गईं और उनका मलबा ऐसे ही बिखरा रहा. रिपोर्ट के मुताबिक यही खंडहर इमारतें समलैंगिकों के लिए एक खास जगह बन गई थी. ऐसे कपल यहां आकर मिला करते थे. 


कई सालों तक समलैंगिक कपल यहां आकर मिलते थे और ये सिलसिला लगातार चलता रहा. इसके बाद ईसाई लोगों और खासकर पादरियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. समलैंगिकों के मिलने को बुरा माना जाने लगा और उन्हें सजा देने की शुरुआत भी हुई. माना जाता है कि इसके बाद से ही समलैंगिकता को जुर्म मानने की शुरुआत हुई. 


फिलहाल दुनिया के करीब 34 देशों में समलैंगिक शादियों को मान्यता दी गई है, जिनमें करीब 10 मुस्लिम देश भी शामिल हैं. हालांकि इनमें से ज्यादातर देशों में ऐसे कपल्स को अधिकार कम दिए गए हैं. यानी ऐसे रिश्तों को स्वीकार करने वाले देशों की संख्या अब भी काफी कम है. 


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