उत्तर प्रदेश के छोटे-से जिले संभल ने इस बार बड़ा कमाल किया है. राज्य सरकार की विकसित यूपी 2047 योजना में जब लोगों से फीडबैक मांगा गया, तो सबसे आगे संभल निकला. विकास की रफ्तार पर राय देने में इस जिले ने सबको पीछे छोड़ दिया, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या फीडबैक में टॉपर बनना ही काफी है? क्या इस पहल से संभल की असल तस्वीर बदलेगी और जिला वाकई तेज रफ्तार विकास की राह पर बढ़ेगा?

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टॉप पर रहा संभल

उत्तर प्रदेश में चल रही महत्वाकांक्षी योजना ‘विकसित यूपी 2047’ का मकसद राज्य को अगले दो दशकों में देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों की कतार में लाना है. इस मिशन के तहत सरकार ने आम जनता से ऑनलाइन और ऑफलाइन फीडबैक मांगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि लोग अपने क्षेत्र के विकास को लेकर क्या सोचते हैं और किन बदलावों की जरूरत महसूस करते हैं.

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इस प्रक्रिया में संभल जिले ने सबको हैरान कर दिया. जहां बड़े-बड़े शहरों से कम प्रतिक्रिया आई, वहीं संभल ने फीडबैक देने में पहला स्थान हासिल किया. यह इस बात का संकेत है कि यहां के लोग अब विकास की दिशा में सक्रिय रूप से सोचने और बोलने लगे हैं.

क्या है विकसित यूपी 2047 योजना?

यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ विजन का हिस्सा है. इसका उद्देश्य है कि हर जिले की अपनी विकास कहानी तैयार की जाए. शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, रोजगार, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में जनता की राय लेकर सरकार भविष्य की नीतियों का खाका तैयार कर रही है.

संभल क्यों बना टॉपर?

अधिकारियों का कहना है कि संभल में पंचायत स्तर पर फीडबैक कैंप लगाए गए. गांव-गांव जाकर युवाओं, शिक्षकों, किसानों और महिलाओं से उनके सुझाव लिए गए. लोगों ने अपनी समस्याओं के साथ-साथ समाधान भी सुझाए, जैसे बेहतर सड़कें, साफ पानी, रोजगार के अवसर और स्कूलों में तकनीकी शिक्षा. यही सक्रियता संभल को टॉपर बना गई. खास बात यह है कि यहां के युवाओं ने ऑनलाइन माध्यम से सबसे ज्यादा फॉर्म भरे, जिससे यह जिला तकनीकी रूप से भी आगे निकलता दिखा है.

क्या इससे तेज होगा विकास?

रिपोर्ट्स बताती हैं कि जनता की भागीदारी से विकास योजनाएं अधिक प्रभावी होती हैं. अगर संभल की जनता ने अपनी जरूरतें और प्राथमिकताएं स्पष्ट बता दी हैं, तो सरकार को यह पता चलेगा कि किस दिशा में निवेश करना है. ऐसे में संभावना है कि जिले के विकास कार्यों में तेजी आएगी.

हालांकि, केवल फीडबैक भर देना काफी नहीं है. असली चुनौती उस फीडबैक को जमीन पर उतारने की है. योजना बन जाने के बाद भी अगर क्रियान्वयन में देरी हुई, तो संभल का यह उत्साह व्यर्थ चला जाएगा. लेकिन अगर सरकार ने इन सुझावों को गंभीरता से अपनाया, तो यह जिला भविष्य में विकसित यूपी का चेहरा बन सकता है.

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