भारत में आरक्षण एक प्रणाली है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान स्थापित किया गया था. भारतीय संविधान में प्रावधानों के आधार पर यह केंद्र सरकार और भारत के राज्यों और क्षेत्रों को उच्च शिक्षा में प्रवेश, रोजगार, राजनीतिक निकायों आदि में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े नागरिकों के लिए आरक्षित कोटा या सीटों का एक निश्चित प्रतिशत आवंटित करने की अनुमति देता है. उस दौर में आरक्षण इसलिए दिया जाता था कि तब हाशिए पर मौजूद वर्गों में समानता लाना उद्देश्य था. अन्याय को सुधारने के लिए लिए इसकी शुरुआत की गई थी. चलिए जानते हैं कि भारत के किन राज्यों में आरक्षण सबसे ज्यादा है.
देश में चुनाव से पहले जातिगत आरक्षण को लेकर बहस तेज थी. विपक्ष का ऐसा कहना था कि भाजपा सरकार आरक्षण प्रणाली खत्म करने की कोशिश कर रही है. खैर आरक्षण कब खत्म होगा या नहीं होगा, यह तो अलग बात है, अब यह जान लेते हैं कि कौन सा राज्य सबसे ज्यादा आरक्षण देता है.
सबसे ज्यादा आरक्षण किस राज्य में लागू
दिसंबर 2022 में छत्तीसगढ़ की आरक्षण संशोधन विधेयक पास किया गया था. इस दौरान यहां पर आरक्षम 76 फीसदी हो गया है. उस वक्त भारत के राज्यों मिलने वाले आरक्षण में यह सबसे ज्यादा था. जब यह बिल पास हुआ तो उसके बाद वहां पर अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, ओबीसी को 27 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण पॉलिसी लागू है. वहीं सवर्णं गरीबों को इसमें 4 फीसदी आरक्षण मिल रहा है. वहीं बिहार में 75 फीसदी आरक्षण लागू है.
झारखंड में भी पारित हुआ था विधेयक
वहीं झारखंड की बात करें तो साल 2022 में वहां पर भी पदों और सेवाओं की भर्ती के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक को पारित किया गया था. इसके पारित होते ही राज्य में आरक्षण 77 फीसदी लागू हो गया था. वहीं सिक्किम में 85 फीसदी आरक्षण है. यहां पर 40 फीसदी ओबीसी, 20 फीसदी अन्य स्थाई समुदाय, 18 फीसदी एसची और 7 फीसदी एससी के लिए है. राजस्थान में 64 फीसदी आरक्षण, तमिलनाडु में 69 फीसदी और तेलंगाना में 54 फीसदी आरक्षण लागू है. वहीं उत्तर प्रदेश में 60 फीसदी आरक्षण प्रणाली लागू है.
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