हैदराबाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने भारतीय डाक विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले के एक पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने बीएचईएल, आरसीपुरम (हैदराबाद) के उप-डाकपाल (Sub-Post Master) रहे कोल्ला रामाकोटैया को दोषी करार देते हुए दो साल की कड़ी कैद (Rigorous Imprisonment) और 80 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

CBI की जांच में यह सामने आया कि कोल्ला रामाकोटैया ने वर्ष 2003 से 2007 के बीच डाकघर में खाताधारकों द्वारा जमा कराए गए करीब 79.79 लाख रुपये की रकम को गबन कर लिया था. आरोपी ने चालाकी से यह रकम डाक विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की, जबकि खाताधारकों की पासबुक में जमा होने का झूठा ब्यौरा दे दिया था.

शिकायत के बाद शुरू हुई जांच

इस मामले की शिकायत 15 दिसंबर 2008 को तत्कालीन सहायक निदेशक, डाक सेवा (Assistant Director, Postal Services), कार्यालय पोस्ट मास्टर जनरल, हैदराबाद रीजन की ओर से CBI को सौंपी गई थी. इसके बाद CBI ने गहन जांच कर 30 अप्रैल 2010 को आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

करीब 15 साल तक यह मामला कोर्ट में चला और गवाहों और सबूतों के आधार पर अब अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने जनता की गाढ़ी कमाई के साथ विश्वासघात किया है, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है.

जनता के पैसों से किया धोखा

पोस्ट ऑफिस भारत में लंबे समय से एक भरोसेमंद वित्तीय सेवा केंद्र रहा है, खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लिए. यहां लोग अपने पैसे सुरक्षित मानते हैं. ऐसे में यदि कोई सरकारी कर्मचारी पद का दुरुपयोग कर जनता के पैसों में हेराफेरी करता है, तो यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि भरोसे का भी खून है.

CBI की सक्रियता से हुआ खुलासा

CBI ने इस मामले में गंभीरता दिखाई और तकनीकी जांच, दस्तावेजी साक्ष्य और गवाहों के बयानों के आधार पर केस को मजबूती से अदालत में पेश किया. यही वजह रही कि वर्षों बाद भी आरोपी को सजा दिलाई जा सकी.