देश की राजधानी दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के बाहर सोमवार (10 नवंबर) शाम एक कार में जोरदार धमाका हुआ. इस ब्लास्ट में पास मौजूद 5-6 गाड़ियां जलकर रख हो गईं. आसपास मौजूद दुकानों के शीशे चटक गए और दूर तक धुआं फैल गया. इस घटना में 10 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि 24 से ज्यादा घायल हो चुके हैं, जिन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. क्या आपको पता है कि ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियां क्या-क्या ढूंढती हैं? किन चीजों से धमाके के ट्रेस मिलते हैं?
लाल किला ब्लास्ट में ढूंढी जा रहीं ये चीजें
लाल किला ब्लास्ट केस में फॉरेंसिक टीम सबसे पहले यह चेक कर रही है कि क्रेटर (गड्ढा) बना या नहीं. इस हादसे में कोई गड्ढा नहीं बना है. इसका मतलब यह है कि हाई एक्सप्लोसिव नहीं था या गाड़ी में कम क्वांटिटी थी. घायलों को कोई पेलेट या स्प्लिंटर इंजरी नहीं हुई, सिर्फ बर्न मार्क्स हैं. इससे पता लगता है कि यह शायद IED था, लेकिन प्रोफेशनल नहीं. फॉरेंसिक वाले अमोनियम नाइट्रेट के ट्रेस टेस्ट भी कर रहे हैं, क्योंकि सोमवार सुबह विस्फोटक बनाने का जो 2900 किलो केमिकल पकड़ा गया, वह अमोनियम नाइट्रेट था.
जांच में किन चीजों का लगाया जाता है पता?
- क्रेटर और डैमेज पैटर्न: जहां धमाका हुआ, वहां गड्ढा बना? कितना गहरा गड्ढा बना? लाल किला में कोई क्रेटर नहीं, मतलब एक्सप्लोसिव गाड़ी के अंदर ही फटा, बाहर नहीं फैला. अगर बड़ा गड्ढा होता तो RDX या प्लास्टिक एक्सप्लोजिव का शक होता. यहां सिर्फ आग और धुआं ज्यादा रहा. ऐसे में CNG सिलेंडर या लो-इंटेंसिटी IED होने का शक जताया जा रहा है.
- फ्रेग्मेंट्स और पार्ट्स: बम के टुकड़े जैसे वायर, बैटरी, घड़ी, मोबाइल, टाइमर, स्विच आदि सर्च किए जाते हैं. लाल किला ब्लास्ट में गाड़ी के जले पार्ट्स इकट्ठे किए जा रहे हैं. अगर मोबाइल मिला तो कॉल डिटेल्स से पता चलेगा किसने रिमोट से फोड़ा. बैटरी मिली तो सीरियल नंबर से दुकान ट्रेस की जाएगी.
- केमिकल रेसिड्यू: यह सबसे जरूरी होता है. इसमें स्वैब से जमीन, गाड़ी, घायलों के कपड़े पोंछे जाते हैं. इसके बाद लैब में GC-MS, आईएमएस मशीन से अमोनियम नाइट्रेट, RDX, TNT आदि की जांच की जाती है. लाल किला धमाके में अमोनियम नाइट्रेट टेस्ट हो रहा है, क्योंकि फरीदाबाद वाला माल उसी का था. अगर ट्रेस मिले तो लिंक पक्का हो जाएगा.
- सीसीटीवी और विटनेस: आसपास के सीसीटीवी कैमरे चेक किए जा रहे हैं. गाड़ी कब आई, कौन उतरा, नंबर प्लेट आदि की जांच की जा रही है. चश्मदीद बता रहे हैं कि गाड़ी रेड लाइट पर रुकी और अचानक धमाका हो गया.
- डॉक्यूमेंट्स और गाड़ी की डिटेल: इस स्टेप में गाड़ी का नंबर ट्रेस किया जाता है. यह पता लगाया जाता है कि इसका मालिक कौन है. गाड़ी लोन पर थी या चोरी की थी. लाल किला ब्लास्ट वाली गाड़ी में 2-3 लोग थे, उनके शवों से DNA, फिंगरप्रिंट आदि लिए गए हैं.
- ट्रेस एविडेंस: छोटी चीजें जैसे पोलन (फूलों का पराग), पेट हेयर और मिट्टी आदि की जांच की जाती है. इससे पता लगता है कि बम कहां बनाया गया. अगर जम्मू-कश्मीर का पोलन मिला तो लिंक वहां से जुड़ जाएगा.
जांच कैसे आगे बढ़ेगी?
फॉरेंसिक रिपोर्ट आएगी तो पता चलेगा ब्लास्ट IED की वजह से हुआ या गैस सिलेंडर के कारण. अगर IED है तो किस तरह का, देसी या प्रोफेशनल? ट्रेस से सोर्स ढूंढा जाएगा, जिससे पता चलेगा कि सामान कहां से खरीदा गया.
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