Energy and Mass: अगर आप विज्ञान की थोड़ी बहुत भी जानकारी रखते हैं, तो आपको मालूम होगा कि द्रव्यमान और ऊर्जा एक दूसरे से संबंधित होते हैं. इनके बीच के संबध को एक फार्मूले से निरूपित किया जाता है. वह है E=mc². यह विज्ञान का सबसे पॉपु‍लर नियमों में से एक है. इसे भौतिकी के महान वैज्ञानिक एलबर्ट आइंस्‍टीन ने प्रतिपादित किया था. ये वही सूत्र है, जिससे आगे चलकर परमाणु बम बना. 


क्‍या है E=mc2 समीकरण?


आइंस्‍टीन के इस समीकरण के मुताबिक, ऊर्जा (E) और द्रव्यमान (m) एक ही एंटिटी हैं और इन्हे एक दूसरे में परिवर्वित किया जा सकता है. दरअसल, इस सूत्र में E ऊर्जा को प्रदर्शित करता है, जो किसी परमाणु से लेकर संसार की किसी भी वस्तु में समाहीत है. M द्रव्यमान है और c प्रकाश का वेग या गति है, जोकि करीब 186,000 मील/सेकंड होती है. इस तरह सूत्र का अर्थ यह हुआ कि किसी भी इकाई के कुल द्रव्यमान को अगर प्रकाश के वेग के वर्ग से गुणा करें तो उस इकाई की कुल ऊर्जा का मान निकल कर आ जायेगा.


पेपर क्लिप में है इतनी एनर्जी


नोवा साइंस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर एक पेपरक्लिप के हर एटम को E=mc2 के अनुसार शुद्ध एनर्जी में बदला जाए तो इससे करीब 18 किलो टन TNT प्राप्‍त होगा. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इतने विस्‍फोटक से निकलने वाली एनर्जी साल 1945 में हिरोशिमा पर गिरे एटम बम के धमाके की एनर्जी के बराबर होगी. हालांकि, किसी भी ऑब्जेक्ट के द्रव्‍यमान को पूरी तरह शुद्ध ऊर्जा में नही बदला जा सकता है.


सूरज भी ऐसे ही चमकता है


द्रव्यमान-ऊर्जा संबंध यह भी दर्शाता है कि मास-एनर्जी स्थानांतरण के चलते अगर ऑब्‍जेक्‍ट से ऊर्जा निकलती है, तो उस ऑब्‍जेक्‍ट का शेष द्रव्यमान घट जाएगा. हीलियम बनाने के लिए जब हाइड्रोजन परमाणु आपस में जुड़ते हैं तो उनकी रेस्ट एनर्जी से मुक्त ऊर्जा से ही सूर्य जैसे तारे चमकते हैं. इस प्रक्रिया में बहुत सारी ऊर्जा निकलती है जिसका मान हाइड्रोजन परमाणुओं के द्रव्‍यमान (E=mc²) पर निर्भर करता है. 


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