दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में लाल लिपस्टिक आत्मविश्वास और फैशन की पहचान मानी जाती है, लेकिन एक ऐसा देश भी है जहां यही रंग मुसीबत की जड़ बन सकता है. यहां मेकअप सिर्फ सौंदर्य का सवाल नहीं, बल्कि विचारधारा और राजनीति से जुड़ा मसला है. नियम तोड़ने पर पूछताछ, सजा और यहां तक कि हिरासत तक का खतरा रहता है. सवाल उठता है कि आखिर एक लिपस्टिक किसी देश के लिए इतना बड़ा अपराध कैसे बन गई?

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किस देश ने बनाया अनोखा नियम?

उत्तर कोरिया दुनिया के सबसे बंद और सख्त नियमों वाले देशों में गिना जाता है. यहां सरकार नागरिकों के पहनावे, हेयरस्टाइल और मेकअप तक पर नियंत्रण रखती है. खास तौर पर महिलाओं के लिए बनाए गए नियम बेहद कड़े हैं. लाल लिपस्टिक को यहां पश्चिमी संस्कृति और पूंजीवाद का प्रतीक माना जाता है, जिसे राज्य की विचारधारा के खिलाफ समझा जाता है. इसी वजह से लाल या गहरे रंग की लिपस्टिक पर अनौपचारिक लेकिन सख्त प्रतिबंध लागू है.

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क्यों निशाने पर है लाल रंग?

उत्तर कोरिया की सरकारी विचारधारा सामूहिकता, सादगी और राज्य के प्रति पूर्ण निष्ठा पर आधारित है. लाल लिपस्टिक को व्यक्तिगत आकर्षण, ग्लैमर और पश्चिमी प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है. किम जोंग-उन के नेतृत्व वाली सरकार मानती है कि इस तरह का मेकअप युवाओं में व्यक्तिवाद को बढ़ावा देता है, जो राज्य के नियंत्रण के लिए खतरा बन सकता है. इसलिए यहां सौंदर्य प्रसाधनों को भी राजनीतिक नजरिए से परखा जाता है.

क्या कहते हैं नियम और व्यवहार?

सरकारी तौर पर महिलाओं को केवल हल्के रंगों की लिपस्टिक और सीमित मेकअप की अनुमति है, वह भी स्थानीय रूप से बने कॉस्मेटिक्स के साथ. विदेशी ब्रांड, गहरे रंग और ज्यादा मेकअप को नियमों के खिलाफ माना जाता है. इन नियमों का पालन करवाने के लिए विशेष निगरानी टीमें तैनात हैं, जिन्हें आम तौर पर फैशन पुलिस कहा जाता है. ये टीमें सड़कों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के पहनावे और मेकअप पर नजर रखती हैं.

उल्लंघन पर क्या हो सकती है सजा?

लाल लिपस्टिक या प्रतिबंधित मेकअप का इस्तेमाल पकड़े जाने पर सजा की प्रकृति हालात पर निर्भर करती है. कई मामलों में चेतावनी या जुर्माना लगाया जाता है, जबकि गंभीर या बार-बार उल्लंघन करने वालों को पूछताछ, सार्वजनिक फटकार, सुधारात्मक श्रम या अस्थायी हिरासत का सामना करना पड़ सकता है. मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, सजाएं अक्सर पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के बिना दी जाती हैं.

मेकअप नहीं, नियंत्रण का प्रतीक

उत्तर कोरिया में मेकअप पर पाबंदी सिर्फ सौंदर्य से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह सरकार के सामाजिक नियंत्रण का हिस्सा है. जिस तरह से हेयरस्टाइल की तय सूची दी जाती है, उसी तरह मेकअप भी राज्य की स्वीकृत सीमा में होना चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के नियम लोगों की व्यक्तिगत पहचान को सीमित कर सत्ता के प्रति एकरूपता बनाए रखने का तरीका हैं.

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