कभी भीड़ की गूंज में डूबे, मैदान पर छाए रहने वाले खिलाड़ी जब संन्यास की घोषणा करते हैं, तो लगता है कहानी खत्म हो गई है, लेकिन कई बार वही खिलाड़ी एक दिन फिर लौट आते हैं, जैसे कुछ अधूरा छोड़ गए हों. ऐसा ही कुछ साउथ अफ्रीका के स्टार बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक ने किया. पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में हुए दूसरे वनडे में उन्होंने वापसी के साथ शतक जड़कर सबका ध्यान खींच लिया. लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि कोई खिलाड़ी जब रिटायर हो चुका हो, तो क्या वह दोबारा खेल सकता है? अगर हां, तो इसके लिए क्या नियम और प्रक्रिया होती है?

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रिटायरमेंट कोई कानूनी बंधन नहीं

असल में, अंतरराष्ट्रीय खेलों में रिटायरमेंट कोई कानूनी बंधन नहीं है, बल्कि यह व्यक्तिगत निर्णय होता है. जब कोई खिलाड़ी संन्यास की घोषणा करता है, तो उसका अर्थ होता है कि वह फिलहाल उस स्तर पर खेलना बंद करना चाहता है. मगर अगर वह बाद में दोबारा खेलना चाहे, तो ऐसा संभव है, लेकिन इसके लिए कई औपचारिक कदम उठाने पड़ते हैं.

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कैसे संन्यास से कर सकते हैं वापसी?

सबसे पहले खिलाड़ी को अपने क्रिकेट बोर्ड या फ्रेंचाइजी को आधिकारिक तौर पर लिखित सूचना देनी होती है कि वह संन्यास से वापसी चाहता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई भारतीय खिलाड़ी संन्यास से लौटना चाहता है, तो उसे बीसीसीआई को सूचित करना होता है. वहीं विदेशी खिलाड़ी अपने बोर्ड जैसे क्रिकेट साउथ अफ्रीका (CSA), इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) या पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) से संपर्क करते हैं.

फिटनेस साबित करने का दौर

इसके बाद आता है फिटनेस और फॉर्म साबित करने का दौर. बोर्ड या चयन समिति अक्सर कहती है कि खिलाड़ी पहले घरेलू क्रिकेट या किसी टी20 लीग में प्रदर्शन करे, ताकि यह दिख सके कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार है. यह चरण वापसी का सबसे कठिन हिस्सा होता है, क्योंकि क्रिकेट में लंबे ब्रेक के बाद उसी स्तर की प्रतिस्पर्धा में खुद को साबित करना आसान नहीं होता है. 

चयन समिति को देनी होती है मंजूरी

एक बार खिलाड़ी यह दिखा देता है कि उसकी फॉर्म वापस आ चुकी है, तो चयन समिति के साथ बातचीत होती है. चयनकर्ता यह तय करते हैं कि टीम की मौजूदा जरूरतों और संयोजन में उस खिलाड़ी की जगह बनती है या नहीं. अगर चयन समिति मंजूरी दे देती है, तो खिलाड़ी दोबारा टीम का हिस्सा बन सकता है.

हालांकि, इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती होती है प्रतिस्पर्धा. युवा खिलाड़ियों की एंट्री के बाद टीम का संतुलन बदल जाता है. ऐसे में पुराने खिलाड़ियों के लिए वापसी करना आसान नहीं होता है. साथ ही, उन पर खुद को बेहतर साबित करने का अतिरिक्त दबाव भी रहता है.

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