Pundrik Goswami Controversy: उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई एक घटना ने तीखी राजनीतिक और संवैधानिक बहस छेड़ दी है. दरअसल हाल ही में कथा वाचक पुंडरीक गोस्वामी को पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. वर्दी पहने पुलिसकर्मियों की एक निजी धार्मिक उपदेशक को सलाम करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसी बीच आइए जानते हैं कि गार्ड ऑफ ऑनर क्या है और यह किसे दिया जाता है.

Continues below advertisement

गार्ड ऑफ ऑनर क्या है और यह क्यों दिया जाता है 

गार्ड ऑफ ऑनर एक औपचारिक समारोह परंपरा है जो सेना और राज्य प्रोटोकॉल में निभाई जाती है. भारत में इसका मतलब गणतंत्र की ओर से आधिकारिक सम्मान दिखाना है, न कि कोई व्यक्तिगत तारीफ. यह संविधान, सशस्त्र बल और राज्य के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है. यह सम्मान रक्षा मंत्रालय, सैन्य नियमावली और सरकारी समारोह दिशा निर्देशों के तहत स्थापित प्रोटोकॉल मानदंडों द्वारा रेगुलेट होता है. इस परंपरा के पीछे बड़ा सिद्धांत यह है कि सम्मान किसी पद या बलिदान से जुड़ा होता है ना कि लोकप्रियता या फिर धार्मिक स्थिति से.

Continues below advertisement

आधिकारिक तौर पर गार्ड ऑफ ऑनर का हकदार कौन है 

भारत में गार्ड ऑफ ऑनर उन व्यक्तियों के लिए आरक्षित है जो संवैधानिक या फिर आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त पदों पर है. इसमें भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शामिल है. यह आधिकारिक यात्राओं के दौरान दूसरे देशों के राष्ट्रपति या फिर प्रधानमंत्री जैसे विदेशी राष्ट्रीय अध्यक्षों या सरकार के प्रमुखों को भी दिया जाता है. 

राजनीतिक पदों के अलावा वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को कमांड परिवर्तन या फिर सेवानिवृत्ति परेड जैसे बड़े समारोह के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. इसी के साथ सशस्त्र बल, अर्ध सैनिक बल और पुलिस कर्मियों के सदस्य जो कर्तव्य के दौरान अपनी जान गंवाते हैं उन्हें भी अपने बलिदान के सम्मान के रूप में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है.

गार्ड ऑफ ऑनर के लिए कौन पात्र नहीं है 

भारतीय प्रोटोकॉल साफ तौर से कहता है कि निजी व्यक्ति चाहे उनके धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक प्रभाव कुछ भी हो गार्ड ऑफ ऑनर के हकदार नहीं है. इसमें धार्मिक उपदेशक, आध्यात्मिक नेता, कथावाचक, बाबा,‌ सामाजिक कार्यकर्ता और मशहूर हस्तियां शामिल हैं. 

कैसे दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर 

गार्ड ऑफ ऑनर का पैमाना गणमान्य व्यक्ति के पद पर निर्भर करता है. भारत के राष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर देने के लिए 150 कर्मियों का दल शामिल होता है. इस दल को सेना, नौसेना और वायु सेना से बराबर संख्या में कर्मियों को लेकर बनाया जाता है. इसी के साथ प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति को 100 कर्मियों का गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. वहीं राज्यपाल, मुख्यमंत्री और बाकी गणमान्य व्यक्तियों को आमतौर पर 50 कर्मियों के दल का गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है.

ये भी पढ़ें: नेपाल में क्यों था भारतीय नोटों पर प्रतिबंध, जानें वहां कितनी है रुपये की वैल्यू?