Pervez Musharraf Death: पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद दुबई (Dubai) के एक अस्पताल में निधन हो गया. उनके परिजनों ने बताया कि एमाइलॉयडोसिस के कारण आज उन्होंने दम तोड़ दिया. इनका जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुआ था. कारगिल युद्ध (Kargil War) में उस वक्त पाकिस्तान के आर्मी चीफ मुशर्रफ ही प्रमुख रणनीतिकार थे. ये भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी से इतने प्रभावित थे कि एक बार अपने भारत के दौरे से वापस जाते समय वाजपेयी जी से मिलने के लिए उन्होंने प्रोटोकॉल तक तोड़ दिया था.


तख्तापलट कर बनें पाकिस्तान के राष्ट्रपति


1999 में मार्च से मई तक मुशर्रफ ने ही कारगिल जिले में गुप्त घुसपैठ का आदेश दिया था. भारत को जैसे ही इस बात की भनक लगी तो दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. इसमें मुशर्रफ की भी बहुत किरकिरी हुई थी. साल 1999 में नवाज शरीफ की सरकार का सफल सैन्य तख्तापलट करने के बाद परवेज मुशर्रफ दक्षिण एशियाई राष्ट्र (पाकिस्तान) के दसवें राष्ट्रपति बने थे.


वाजपेयी जी से मिलने को रुकवाया था काफिला


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और उनकी कार्यशैली से न केवल उनकी पार्टी के लोग, करीबी सहयोगी, विपक्षी दलों के नेता, बल्कि विदेशी राष्ट्राध्यक्ष भी प्रभावित थे. राजकुमार शर्मा ने ‘‘साहित्य अमृत’’ पत्रिका में पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी एक घटना का उल्लेख किया है. मुशर्रफ, वाजपेयी जी से बहुत प्रभावित थे. शर्मा ने अपने लेख के जरिए बताया है कि अप्रैल 2005 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति मुर्शरफ भारत दौरे पर आए थे. उनकी वाजपेयी जी से मिलने की इच्छा थी, लेकिन तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने इस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. मुशर्रफ भी शायद वाजपेयी से मिलने का पूरा इरादा बनाए बैठे थे. आखिरकार 18 अप्रैल 2005 को स्वदेश वापसी के लिये पालम हवाई अड्डा जाते समय यह मुलाकात हुई. 


अटल जी को व्यक्तित्व की थी अच्छी पहचान


मुशर्रफ ने पालम हवाई अड्डा जाते समय प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए अपना काफिला 6, कृष्ण मेनन मार्ग पर रुकवा दिया. तब वे अटल बिहारी वाजपेयी से मिले और उनसे कहा कि अगर वो (यानी अटल बिहारी वाजपेयी) प्रधानमंत्री होते तो आज नजारा कुछ और होता. अटलजी ने भी अपनी चिर परिचित शैली और मुस्कान के साथ परवेज़ मुर्शरफ को शुभकामनाएं दीं. शर्मा ने अपने इस लेख में लिखा है कि वाजपेयी को लोगों के व्यक्तित्व की अच्छी पहचान थी. उन्होंने अनेक नेताओं के बारे में टिप्पणियां की जो ज्यादातर सटीक बैठती थीं. 


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