Rehman Dakait: आदित्य धर की फिल्म धुरंधर की रिलीज ने पाकिस्तान के सबसे खूंखार गैंगस्टरों में से एक रहमान डकैत के बारे में लोगों की जिज्ञासा को फिर से बढ़ा दिया है. अक्षय खन्ना ने ल्यारी के इस गैंगस्टर का डरावना किरदार निभाया है. इसी बीच आइए जानते हैं कि असली रहमान डकैत कौन था और आखिर क्यों डरता था उससे दाऊद इब्राहिम भी.

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ल्यारी की सड़कों से अंडरवर्ल्ड के सिंहासन तक 

रहमान डकैत का असली नाम सरदार अब्दुल रहमान बलूच था. रहमान का जन्म कराची के ल्यरी में हुआ था. यह इलाका काफी लंबे समय से गैंग कल्चर और ड्रग्स तस्करी से जुड़ा रहा है. उसके जन्म वर्ष के बारे में रिपोर्ट अलग-अलग है और यह 1975 और 1980 के बीच बताई जाती है. आपको बता दें कि रहमान का बचपन अपराध से घिरा हुआ था. उसके पिता मोहम्मद दादल एक जाने माने ड्रग तस्कर थे. रहमान 13 साल की उम्र तक अपना पहला हिंसक हमला कर चुका था और यही उसकी खून खराबे से भरी जिंदगी की शुरुआत थी. 

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अपनी ही मां की हत्या 

जो चीज रहमान डकैत को दूसरे गैंगस्टरों से अलग बनाती थी वह थी उसकी क्रूरता. उसके खिलाफ सबसे भयानक आरोपों में से एक उसकी अपनी मां की हत्या थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने अपनी मां का गला घोट दिया और उसके शव को छत के पंखे से लटका दिया था. ऐसा कहा जाता है कि उसे शक था कि उसकी मां के संबंध एक दूसरी गैंग के सदस्य से हैं. 

ल्यारी के निवासी और कानून परिवर्तन सूत्रों ने अक्सर रहमान के गैंग को एक ऐसे गैंग के रूप में बताया जो आतंक के जरिए राज करता था. सिर काटना और शवों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना उसके शासन का हिस्सा बन गए थे. उसका नाम ही पूरे मोहल्ले को चुप करने के लिए काफी था.

दाऊद इब्राहिम से टकराव

रहमान डकैत की बदनामी तब ज्यादा बढ़ गई जब उसका रास्ता दाऊद इब्राहिम से टकराया. यह भारत का सबसे वांछित गैंगस्टर था और पाकिस्तान में बस गया था. ऐसा कहा जाता है कि यह टकराव कराची में विवादित जमीन को लेकर शुरू हुआ था. इसे दाऊद के नेटवर्क ने कथित तौर पर रहमान के साथियों से छीन लिया था. इसके बाद इलाके के इतिहास में अंडरवर्ल्ड की सबसे खतरनाक टकरावों में से एक हुआ.

जब बातचीत फेल हो गई तो रहमान ने कथित तौर पर दाऊद के भाई नूर उल हक को किडनैप कर लिया और उसे काफी ज्यादा टॉर्चर किया. नूर उल हक बाद में 2009 में रहस्यमय हालातों में मारा गया. इस एक काम ने ही रहमान डकैत का क्रिमिनल दुनिया में नाम बना दिया. क्योंकि काफी कम लोगों में दाऊद इब्राहिम को सीधे चुनौती देने और जिंदा बचने की हिम्मत थी.

ल्यारी गैंग का साम्राज्य और लोगों का डर 

बाबा लाडला और उजैर बलूच जैसे बदनाम साथियों के साथ मिलकर रहमान ने ल्यारी को लगभग बिना कानून वाला इलाका बना दिया था. गैंग की क्रूरता कराची के सबसे बुरे दौर की पहचान बन चुकी थी जिसमें दुश्मनों को डर फैलाने के लिए सबके सामने मारा जाता था.

रहमान डकैत का अंत 

रहमान डकैत का राज 9 अगस्त 2009 को खत्म हो गया जब वह कराची में एक पुलिस एनकाउंटर में मर गया. उसकी मौत ल्यारी के गैंग वॉर के एक दौर के खत्म होने की निशानी थी लेकिन हिंसा का अंत नहीं. उसके बाद लीडरशिप उसके चचेरे भाई उजैर बलूच के हाथों में आ गई.

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