26/11 Mumbai Attack: 26 नवंबर 2008 की शाम मुंबई वालों के लिए बड़ी ही दर्दनाक थी, जहां सिर्फ गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी, लोगों की आंखों में मौत का डर था. एक ऐसी घटना जिसने सिर्फ मुंबई को ही नहीं पूरे देश को डरा दिया था. वह दिन लोगों को आज भी याद है, जब सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गवां दी थी. मुंबई पर 26/11 के आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा चाहता था कि अटैक को अंजाम देने वाले 'लश्कर-ए-तैयबा' के आतंकवादियों को 'निशान-ए-हैदर' से सम्मानित किया जाए.
'निशान-ए-हैदर' सम्मान क्या है?
दरअसल 'निशान-ए-हैदर' पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य वीरता पुरस्कार है और केवल सशस्त्र बलों के सदस्यों को दिया जाता है. यह हवा, जमीन या समुद्र में दुश्मन का सामना करते हुए असाधारण बहादुरी के सर्वोच्च कार्यों को मान्यता देता है. 1947 में पाकिस्तान की आजादी के बाद से इसे केवल 11 बार ही प्रदान किया गया है.
राणा ने की थी मारे गए 9 लश्कर आतंकियों की सराहना
राणा 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है. अमेरिकी न्याय विभाग ने राणा और डेविड कोलमैन हेडली के बीच बातचीत के कुछ हिस्से जारी किए हैं. जिनके मुताबिक, हमले के बाद राणा ने कथित तौर पर हेडली से कहा था कि भारतीय 'इसके लायक थे'. हेडली के साथ एक इंटरसेप्टेड बातचीत में राणा ने कथित तौर पर हमले में मारे गए 9 लश्कर आतंकियों की सराहना करते हुए कहा था कि उन्हें 'निशान-ए-हैदर' दिया जाना चाहिए.
बता दें कि राणा को लंबी कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई के बाद भारत लाया गया है. अमेरिका से प्रत्यर्पित तहव्वुर राना को गुरुवार को नई दिल्ली लाया गया जहां नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया. इसके बाद राना को एनआईए की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे एनआईए की 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया.
26/11 हमले में मारे गए थे 164 लोग
26 नवंबर 2008 की रात को 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर एक साथ हमला किया था. 26/11 हमले में 164 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए. आतंकवादियों ने भारतीयों और अन्य देशों के नागरिकों की हत्या की. नौ आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया जबकि एक अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया जिसे बाद में फांसी की सजा हुई.
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