दिल्ली में सेक्स रेश्यो 2021 में 932 था, जो 2022 में घटकर 929 हो गया. दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. साथ ही, बताया गया है कि दिल्ली में प्रतिदिन जन्म की औसत संख्या में भी उल्लेखनीय उछाल आया और यह 2022 में बढ़कर 823 हो गई, जो 2021 में 745 थी. आइए आज हम जानते हैं कि किसी राज्य का सेक्स रेश्यो किन-किन आधार पर तैयार होता है.


सेक्स रेश्यो क्या होता है?
सेक्स रेश्यो पुरुषों की संख्या और महिलाओं की संख्या के बीच का अनुपात है. यह प्रति 100 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है.


प्राइमरी सेक्स रेशियो
गर्भाधान के समय के अनुपात को प्राइमरी सेक्स रेशियो के रूप में जाना जाता है. इसकी गणना महिला गर्भाधान, गर्भपात और जन्म-मृत्यु दर के साथ-साथ जीवित बच्चों का डेटा का उपयोग करके की जाती है.


सेकेंडरी सेक्स रेशियो 
जन्म के समय पुरुष-महिला अनुपात को सेकेंडरी सेक्स रेशियो के रूप में जाना जाता है. यह मूल रूप से जनसंख्या स्तर पर निर्भर होता है.


टर्शियरी सेक्स रेशियो
टर्शियरी सेक्स रेशियो 20 वर्ष के आयु वर्ग में पाए जाने का अनुपात है. ज्यादातर मामलों में पुरुष महिलाओं से आगे निकल जाते हैं.


सेक्स रेशियो की गणना कैसे होती है?
सेक्स रेशियो की गणना करने के लिए, सबसे पहले यह तय करें कि आप किन दो लिंगों या लिंगों के समूहों की तुलना करेंगे. इस उदाहरण में हम महिलाओं की संख्या की तुलना पुरुषों से करेंगे. लिंग अनुपात ज्ञात करने के लिए महिला की संख्या को पुरुष की संख्या से विभाजित किया जाता है.


देश में कितना है सेक्स रेश्यो
दिल्ली के इतर पूरे देश के सेक्स रेश्यो की बात करें तो भारत में 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं. इसका मतलब यह है कि देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है, लेकिन यह अलग-अलग राज्य में अलग-अलग है. जैसे ग्रामीण इलाकों में सेक्स रेश्यो 1000 पुरुषों के मुकाबले 985 महिलाओं का है.