Nepal Aeroplane Crash Reason: नेपाल के पोखरा में रविवार को एक यात्री विमान 68 यात्रियों और 4 क्रू मेंबर्स सहित दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसमें 5 भारतीय और 14 विदेशी नागरिक भी शामिल थे. नेपाल की सेना और पुलिस रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी है और अब तक 68 शव बरामद किए जा चुके हैं. नेपाल में यह कोई पहला विमान हादसा नहीं है, बल्कि पिछले कुछ सालों में यहां कई विमान हादसे हुए हैं. यहां तक कि नेपाल में विमान यात्रा को रिस्की भी बताया जा चुका है. आइए जानते हैं आखिर यहां इतने हादसे होने की वजह क्या है और क्यों यहां विमान यात्रा को रिस्की बताया जाता है...


नेपाल में विमान यात्रा इसलिए है रिस्की
नेपाल में आए साल विमान दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं. इसकी सबसे मुख्य वजह यहां के ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके हैं. जो विमान के लिए खतरा बढ़ाने का काम करते हैं. नेपाल में ज्यादातर हवाई पट्टियां पर्वतीय इलाकों में हैं. नेपाल में अचानक से मौसम का बदलना भी विमान के लिए खतरे को बढ़ाने का काम करता है. नेपाल में पर्याप्त प्रशिक्षित एविएशन स्टाफ की भी कमी के साथ-साथ विमान सेवा को चलाने के लिए भी प्रयाप्त स्टाफ नहीं है. जिसका सीधा असर एविएशन सेक्टर पर असर पड़ रहा है. नेपाल में नए विमानों के लिए बुनियादी ढांचे और उस क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए निवेश की भी कमी है. 


नेपाली एयरलाइंस पर प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने साल 2013 में नेपाल की सभी एयरलाइनों के अपने हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके अलावा यूरोपीय कमीशन ने नेपाली एयरलाइंस पर 28 देशों के उड़ान भरने पर भी प्रतिबंध लगाया था. मार्च 2022 में स्थानीय अखबार काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया था कि नेपाल सरकार की विफलता के कारण देश के विमान यूरोपीय संघ की ब्लैकलिस्ट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. एविएशन सेफ्टी डाटा बेस की रिपोर्ट के हिसाब से नेपाल में पिछले 30 सालों में 27 विमान दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. जिनमें से 20 घटनाएं तो पिछले एक दशक में हुईं हैं.


इस हिस्से में हुई सबसे ज्यादा विमान दुर्घटनाएं
पुराना रिकॉर्ड देखें तो काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा समुद्र तल से 1,338 मीटर की ऊंचाई पर है और यहां सबसे घातक विमान दुर्घटनाएं हुई हैं. यह इलाका थोड़ा ज्यादा जोखिम भरा है, क्योंकि यह एक संकीर्ण अंडाकार आकार की घाटी पर है और साथ ही ऊंचे और नुकीले पहाड़ों से घिरा हुआ भी है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट में अधिकांश पायलटों का कहना है कि खड़ी और संकरी हवाई पट्टी होने के कारण यहां विमान को नेविगेट करना मुश्किल होता है. यहां छोटे विमानों को तो लाया जा सकता है पर बड़े जेटलाइनर्स को नहीं लाया जा सकता.


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