1947 में भारत के बंटवारा का किस्सा अधिकांश लोगों ने इतिहास के किताबों में पढ़ा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैनिकों का बंटवारा कैसे हुआ था? हालांकि तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन सेना को बांटने के खिलाफ थे. जानिए फिर कैसे हुआ था सैनिकों का बंटवारा. 


जिन्ना ने क्या कहा ?


बता दें कि वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने जिन्ना को सुझाव दिया था कि एक अंग्रेज कमांडर जो सेना प्रमुख होगा उसके अधीन भारतीय सेना को वैसे ही रहने दिया जाए. लेकिन जिन्ना ने फौरन यह सुझाव खारिज कर दिया था और सेना को बांटने पर अड़ गये थे. इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब ”फ्रीडम एट मिडनाइट” में लिखते हैं कि जिन्ना ने माउंटबेटन के इस सुझाव पर जवाब दिया था कि हमें ऐसा कतई मंजूर नहीं है. जिन्ना ने कहा था कि सेना किसी भी राष्ट्र की सार्वभौम सत्ता का अभिन्न अंग होती है. इसलिये पाकिस्तान की सेना 15 अगस्त से पहले ही पाकिस्तान की सीमा के अंदर होनी चाहिए. इसके बाद तय हुआ था कि भारतीय सेना के दो-तिहाई सैनिक भारत के हिस्से में आएंगे और एक-तिहाई पाकिस्तान के हिस्से में जाएंगे. 


सैनिकों का बंटवारा?


बता दें कि 1945 में भारतीय सेना में 25 लाख सैनिक थे. इतना ही नहीं भारतीय सेना अंग्रेजी हुकूमत के लिए इटली से लेकर बर्मा तक लड़ चुकी थी. डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स लिखते हैं कि भारतीय फौज को इस बात का गर्व था कि सांप्रदायिकता की भावना फौज को नहीं छू पाएगी. लेकिन जिन्ना के जिद्द की वजह से आखिरकार फौज का बंटवारा भी सांप्रदायिक आधार पर होने जा रहा था. इसके अलावा जुलाई महीने के शुरू में ही भारतीय सेना के हर अधिकारी को एक फार्म दिया गया था. उसमें हर अधिकारी से यह बताने को कहा गया था कि वह भारतीय सेना में काम करेगा या पाकिस्तानी सेना में जाना चाहता है. 


कुर्सी-मेज का बंटवारा


बता दें कि बंटवारे के वक्त ये तय हुआ था कि भारत के विशाल प्रशासन तंत्र की चल संपत्ति का 80 प्रतिशत भारत को मिलेगा और 20 प्रतिशत पाकिस्तान को मिलेगा. इसके बाद हिंदुस्तान के हर हिस्से में सरकारी कार्यालयों में मेज-कुर्सियां, झाडू और टाइपराइटर गिने जाने लगे थे. जानकारी के मुताबिक उस वक्त भारत में क्लर्कों के बैठने की 425 मेज, 85 बड़ी मेज, अधिकारियों की 85 कुर्सियां, 850 अन्य कुर्सियां, हैट टांगने के 50 खूंटी-स्टैंड, दर्पण, 6 खूंटी-स्टैंड, किताबें रखने की 130 आलमारियां, लोहे की 4 तिजोरियां, 20 टेबल-लैंप, 120 पंखे, 170 टाइपराइटर, 120 घड़ियां, 110 साइकिलें, 600 कलमदान, कार्यालय की 3 मोटरें, 2 सोफा- सेट और 40 कमोड गिने गये थे.


 


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