भारत में सांसदों और विधायकों को सरकारी आवास दिए जाते हैं. राजधानी दिल्ली और राज्य की राजधानी में उनके लिए अलग-अलग कोठियां आरक्षित रहती हैं. सांसदों के लिए सांसद आवास, सफेद बंगले और लाल बंगले जैसे बंगले उपलब्ध हैं, जबकि विधायक अपने राज्य की राजधानी में सरकारी आवास प्राप्त करते हैं. इन बंगलों में अक्सर सुरक्षा, गार्ड, पार्किंग और ऑफिस सुविधाएं भी रहती हैं.

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लेकिन यह व्यवस्था केवल भारत तक सीमित नहीं है. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे लोकतांत्रिक देशों में सांसद और विधायक के लिए आवास और सुविधाओं के नियम अलग हैं.

अमेरिका में सांसदों के आवास और सुविधा नियम

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अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य सीधे सरकारी बंगले में नहीं रहते हैं. वे वाशिंगटन डी.सी. में किराए पर फ्लैट या हाउस लेते हैं, और इसमें सरकार द्वारा कुछ खर्चों का योगदान होता है. सांसदों को वार्षिक सैलरी के अलावा कम्यूटर अलाउंस, यात्रा खर्च और ऑफिस संचालन खर्च मिलते हैं. सुरक्षा के लिए कैपिटल पुलिस उपलब्ध होती है, लेकिन आलीशान बंगले जैसी सुविधा आमतौर पर नहीं होती है. अमेरिका में सांसदों को व्यक्तिगत घर में रहना पड़ता है, और सरकारी आवास केवल अत्यधिक आवश्यक मामलों में प्रदान किया जाता है.

ब्रिटेन में सांसदों के आवास और सुविधा नियम

ब्रिटेन में सांसदों को आवास सरकारी तौर पर प्रदान नहीं किया जाता है. लंदन में कुछ सांसदों को वेस्टमिंस्टर में सीमित अवधि के लिए आवास उपलब्ध होता है, लेकिन अधिकांश सांसद अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी में रहते हैं. ब्रिटिश सांसदों को सैलरी, ऑफिस खर्च, यात्रा भत्ता और सुरक्षा अलाउंस मिलता है. सरकारी बंगले जैसी कोई भव्य सुविधा वहां नहीं है. सांसदों की सुविधा केवल कार्यकुशलता और सुरक्षा तक सीमित रहती है.

भारत और अन्य देशों में फर्क

भारत में सरकारी बंगला केवल आवास तक सीमित नहीं, बल्कि यह सांसद और विधायक की स्थिति और प्रतिष्ठा को दर्शाता है. जबकि अमेरिका और ब्रिटेन में सरकारी आवास का उद्देश्य केवल काम करने की सुविधा और सुरक्षा होता है. वहां भारत की तरह आलीशान बंगले और गार्ड की व्यवस्था आम नहीं है.

सांसदों और विधायकों के लिए आवास और सुविधाएं देशों के संवैधानिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नियमों पर निर्भर करती हैं. भारत में यह पद की गरिमा का प्रतीक है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन में इसे कार्यकुशलता और सुरक्षा तक सीमित रखा गया है.

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