ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान की नींद खराब कर दी है. दरअसल, हाल ही में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसने पाकिस्तान सरकार के होश उड़ा दिए हैं. राजनाथ सिंह ने कहा, सिंध भले ही भारत का हिस्सा न हो, लेकिन सभ्यता की दृष्टि से यह हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा. सीमाएं तो बदल सकती हैं और क्या पता कल सिंध फिर से भारत में वापस आ जाए.
रक्षा मंत्री के इस बयान पर पाकिस्तान ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. इस बयान को 'विस्तारवादी सोच' और उकसावे वाला बताया गया है. वहीं, राजनाथ सिंह के बयान के बाद भारत में सिंध को भारत में मिलाने की मांग उठने लगी है और लोग पाकिस्तान के इस इलाके पर कब्जा करने की बात कह रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिंध को भारत में मिलाने के लिए रक्षा मंत्री के इशारे पर तीनों सेनाएं हमला कर सकती हैं? भारत में इसको लेकर क्या नियम है और सैन्य कार्रवाई का आदेश कौन दे सकता है? चलिए जानते हैं...
क्या है सिंध का इतिहास और डेमोग्राफी
1947 में भारत के बंटवारे के बाद सिंध प्रांत पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था. यहां बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय रहा करता था, जो बंटवारे के बाद भारत में आकर बस गया और भारत के कई मुसलमान पाकिस्तान के सिंध पहुंच गए. आबादी के हिसाब से देखें यहां करीब 5.5 करोड़ लोग रहते हैं और सिंध प्रांत में 30 जिले हैं. 2017 की जनगणना के अनुसार, सिंध प्रांत में मौजूदा समय में 91.3 प्रतिशत मुसलमान आबादी है और 6.5 प्रतिशत हिंदू रहते हैं. यह इलाका एक लाख 40 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.
क्या रक्षा मंत्री दे सकते हैं सेना को आदेश?
सबसे पहले तो यह जान लें कि भारतीय सेना किसी राजनीतिक बयानबाजी या मौखिक आदेश पर कभी हमला नहीं करती. भारतीय सेना हमेशा लिखित आदेश का पालन करती है. वहीं, यह बात भी तथ्यात्मक रूप से सही है कि भारत का रक्षा मंत्री तीनों सेनाओं का राजनीतिक प्रमुख होता है, हालांकि रक्षा मंत्री सीधे तौर पर सेना को हमले या किसी तरह की स्ट्राइक का आदेश नहीं दे सकते. भारत में सेना के तीनों अंगों के हमले या स्ट्राइक के लिए नियम बनाए गए हैं, जिसका पालन भारतीय सेना करती है.
कौन दे सकता है सेना को हमले का आदेश?
किसी भी युद्ध, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक या अन्य सैन्य कार्रवाई का आदेश देने का अधिकारी सिर्फ कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) के पास होता है. इस कमेटी के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री सदस्य होते हैं. यह कमेटी ही सेना को किसी कार्रवाई का आदेश दे सकती है और अंतिम स्वीकृति प्रधानमंत्री की होती है. इसके बाद भी सैन्य कार्रवाई की योजना बनाई जाती है, जिसमें सीडीएस के साथ तीनों सेनाओं के सैन्य प्रमुख शामिल होते हैं.
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