संसद का मानसून सत्र 2025 बीते गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इसके साथ ही संसद का यह सत्र समाप्त हो गया. यह सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चला. 32 दिनों तक चले इस सत्र में कुल 21 बैठकें हुई. शुरुआत में ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई, लेकिन इसके बाद में अधिकांश समय हंगामा और विपक्ष-सरकार के टकराव की भेंट चढ़ गया.

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अहम चर्चाएं और बहस 

सत्र के दौरान पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत बहस हुई. लोकसभा में इस मुद्दे पर 18 घंटे 41 मिनट चर्चा चली जिसमें 73 सांसदों ने हिस्सा लिया और प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब दिया. वहीं राज्यसभा में 16 घंटे 25 मिनट चली बहस में 65 सांसदों ने भाग लिया और गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. इसके अलावा भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने और विकसित भारत 2047 में अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका पर चर्चा शुरू हुई लेकिन बार-बार के हंगामें के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका. 

विधेयक और अन्य कार्य 

हंगामा के बावजूद कई हम विधेयक पारित हुए. इनमें आयकर विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025, ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025, पोर्ट्स और शिपिंग से जुड़े 5 विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान विधेयक 2025 और खनन एवं खनिज संशोधन विधेयक 2025 शामिल हैं. दीवाला एंव शोधन अक्षमता संहिता विधेयक 2025 और जन विश्वास संशोधन विधेयक 2025 को चयन समिति को भेजा गया. वहीं संविधान विधेयक 2025. केंद्र शासित प्रदेश शासन विधेयक 2025 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2025 को संयुक्त समिति के पास भेजा गया. इसके अलावा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त 2025 से अगले 6 महीने के लिए बढ़ाने की मंजूरी दी गई और राज्य का बजट और विनियोग विधेयक भी पास हुआ. 

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कितना हुआ काम और कितना नुकसान 

सत्र के दौरान लोकसभा में 14 विधायक पेश हुए एक वापस लिया गया और कुल 15 विधायक दोनों सदनों से पारित हुए. फिर भी प्रोडक्‍ट‍िविटी बहुत खराब रही. लोकसभा में 120 घंटे के लक्ष्य के मुकाबले केवल 37 घंटे ही काम हुआ यानी 31% प्रोडक्‍ट‍िविटी रही. वहीं राज्यसभा में 120 घंटे के मुकाबले केवल 41 घंटे 15 मिनट काम हो सका, यानी करीब 39% प्रोडक्‍ट‍िविटी रही. संसद के कार्यवाही का खर्च भारी होता है. 1 मिनट में लगभग ढाई लाख रुपये और 1 घंटे में डेढ़ करोड़ रुपये खर्च होते हैं. ऐसे में हंगामे की वजह से दोनों सदनों में करीब 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का सीधा-सीधा नुकसान हुआ. 

नेताओं की प्रतिक्रियाएं 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र के नतीजे पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष चर्चा से बचता है ताकि उनके युवा सांसदों की प्रतिभा सामने ना आ सके. वहीं कांग्रेस ने सरकार पर पलटवार करते हुए गतिरोध के लिए गृहमंत्री को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि सरकार ने असली मुद्दों से ध्यान भटकने के लिए विवादित विधायक पेश किया. मानसून सत्र 2025 का बड़ा हिस्सा हंगामें और नारेबाजी में बर्बाद हो गया. 

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