दिल्ली की ठंडी शाम में जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विमान 4 दिसंबर को उतरा तो एयरपोर्ट पर मौजूद हर कैमरा एक ही फ्रेम को कैद करना चाहता था. भारत और रूस के दो सबसे ताकतवर नेता, एक ही कार की ओर बढ़ते हुए दिखे थे. लेकिन असली चौंकाने वाली बात अभी बाकी थी. दुनिया भर में अपनी शानदार रेंज रोवर में सफर करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अपनी अभेद्य Aurus Senat के बिना कहीं एक इंच भी न चलने वाले पुतिन दोनों ने अचानक अपने हाई-प्रोटेक्शन वाहनों को किनारे कर दिया और सफेद रंग की एक सामान्य दिखने वाली टोयोटा फॉर्च्युनर में सवार हो गए. आइए दोनों कारों के बारे में जानें.

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ऐसे में सवाल यही उठा कि आखिर ऐसा क्या था इस फॉर्च्युनर में जिसने दो परमाणु शक्तियों के नेताओं को प्रोटोकॉल तोड़ने पर मजबूर कर दिया? यह सिर्फ एक SUV नहीं थी, यह उन अनकही बातों की गाड़ी बन गई, जिसे दोनों देशों के रिश्तों की मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है. लेकिन दिलचस्प बात यह भी है कि इस तुलना में पुतिन की Aurus Senat, जो दुनिया की सबसे महंगी सुरक्षात्मक कारों में गिनी जाती है, चर्चा के मुख्य केंद्र में आ गई.

Aurus Senat कितनी सुरक्षित?

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रूस में बनी Aurus Senat को यूं ही चलता-फिरता किला नहीं कहा जाता. यह कार किसी भी साधारण खतरे के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्राध्यक्ष स्तर के खतरों को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई है. इसका पूरा ढांचा बुलेटप्रूफ है, जो न सिर्फ भारी गोलियों बल्कि आर्मर-पियर्सिंग राउंड्स तक को रोक सकता है. खास बात यह कि इस कार को मिसाइल या ड्रोन जैसी उच्चस्तरीय धमकियों से बचने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा परतें दी गई हैं. 

अगर कार पानी में गिर जाए तो यह तैर सकती है, और टायर फटने पर भी तेज रफ्तार से आगे बढ़ सकती है. अंदर ऐसा एयर-फिल्ट्रेशन सिस्टम है जो केमिकल गैसों तक को रोक देता है. यानी राष्ट्रपति के आस-पास कोई भी हमला बेअसर हो जाता है. 4.4-लीटर ट्विन-टर्बो V8 इंजन इसे ताकत और गति दोनों देता है.

मोदी की फॉर्च्युनर कितनी मजबूत

अब सवाल यही कि इसके सामने मोदी की फॉर्च्युनर कितनी मजबूत है? आम नजरों में फॉर्च्युनर एक सामान्य SUV लगती है, लेकिन जब इसे SPG के साथ मॉडिफाई किया जाता है तो यह पूरी तरह बदल जाती है. प्रधानमंत्री जो फॉर्च्युनर इस्तेमाल करते हैं, वह किसी आम व्यक्ति के बाजार वाले मॉडल जैसी बिल्कुल नहीं होती. उसमें बुलेटप्रूफ शीशे, आर्मर्ड बॉडी, ब्लास्ट-रेजिस्टेंट केबिन, रन-फ्लैट टायर और हाई-लेवल कम्युनिकेशन सिस्टम शामिल होते हैं. 

यह उन खास मिशनों में भी सफर कर सकती है, जहां रास्ते अनिश्चित हों और खतरे अचानक सामने आ जाएं. हालांकि इसकी सुरक्षा का स्तर Aurus Senat जितना भारी नहीं होता, लेकिन SPG की ट्रेनिंग और भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल इसे किसी भी VVIP मूवमेंट के लिए पूरी तरह सक्षम बनाते हैं. 

दोनों नेताओं ने फॉर्च्युनर क्यों चुनी?

लेकिन इस बार दोनों नेताओं ने अपने दिग्गज वाहनों को छोड़कर फॉर्च्युनर क्यों चुनी? विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला सुरक्षा में कमी का नहीं बल्कि भरोसे का संदेश है. फॉर्च्युनर की वास्तविक क्षमता अपनी जगह है, लेकिन उससे ज्यादा अहम है कि भारत और रूस दोनों ने यह दिखाया कि उनके बीच का रिश्ता इतना मजबूत है कि वे तय प्रोटोकॉल से बाहर जाकर भी सहजता दिखा सकते हैं.

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