एनआईए कोर्ट ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है.  कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सबूतों का आभाव है और जांच एजेंसियों की खामियां भी हैं. कोर्ट का कहना है कि प्रोसिक्यूशन ने यह साबित कर दिया है कि मालेगांव में धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हो पाया है कि बाइक में बम रखा गया था. मालेगांव का यह धमाका 29 सितंबर 2008 को हुआ था, जिसमें छह लोग मरे थे और 100 से ज्यादा घालय हुए थे.

यह मामला राजनीतिक के साथ-साथ सांप्रदायिक भी था, जिसने पूरे देश का अपनी ओर ध्यान खींचा था. 17 साल तक इस केस की सुनवाई चली थी. इस मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था, जो कि सभी अब बरी हो गए हैं. चलिए इस शहर मालेगांव को जानते हैं, और यह भी जानेंगे कि यहां पर हिंदू और मुस्लिम की कितनी आबादी रहती है.

कैसा है मालेगांव शहर? 

मालेगांव महाराष्ट्र का एक शहर है, जो कि अपने कपड़ा उद्योग, खासतौर से पावरलूम के लिए जाना जाता है. 2001 की जनगणना के अनुसार मालेगांव की कुल जनसंख्या 5,50,000 थी. यह शहर गिरना और मोसम नदियों के किनारे बसा हुआ है. यह महाराष्ट्र का प्रमुख औद्योगिक केंद्र माना जाता है. यहां पर उर्दू, मराठी और अंग्रेजी भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन यहां उर्दू का ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. मालेगांव में एक रेलवे स्टेशन है, जो कि नासिक और मुंबई हवाई अड्डे के पास है. यहां पर कई सारे धार्मिक और एतिहासिक स्थल देखने को मिलते हैं. 

हिंदू मुस्लिम कारोबार के दो पहिए

मालेगांव में सामाजिक-आर्थिक चक्र में ध्रुवीकरण का कोई असर देखने को नहीं मिलता है और न ही आपसी मनमुटाव देखा जाता है. कपड़ा बुनकरों के इस शहर में हिंदू और मुसलमान कारोबार के दो पहिए हैं, जिसमें एक पहिए के बिना दूसरी गाड़ी चल नहीं सकती है. भले ही साल 2008 में यहां पर हुए ब्लास्ट को एक खास धर्म को देखते हुए किया गया हो, लेकिन फिर भी यहां की फिजा में सामाजिक मनमुटाव की झलक देखने को नहीं मिलती है. 

हिंदू-मुस्लिम आबादी

दंगे और विस्फोट की वजह से यह शहर बहुत सुर्खियों में रहा है. यहां पर हिंदू और मुस्लिम में विभाजन नहीं है, बल्कि राजनीति का विभाजन है. मालेगांव की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मुस्लिम है और यहां पर सात प्रतिशत ही हिंदू रहते हैं. 

मालेगांव ब्लास्ट में क्या हुआ था?

नासिक जिले के मालेगांव में हुआ यह विस्फोट 29 सितंबर 2008 हो हुआ था, उस वक्त रात के 9 बज रहे थे और रमजान का महीना चल रहा था. इसीलिए इफ्तार की वजह से सड़कों पर बहुत भीड़ थी. यहां के भिकू चौक इलाके में यह विस्फोट हुआ था, यहां ज्यादा आबादी मुस्लिम है और विस्फोट के लिए फ्रीडम बाइक का इस्तेमाल किया गया था, जो कि भीड़भाड़ वाले इलाके में खड़ी थी. इस विस्फोट में मारे गए और घायल स्थानीय दुकानदार और राहगीर थे. चूंकि यह विस्फोट रमजान के महीने में हुआ था, इसलिए इसे सांप्रदायिकता से प्रेरित बताया गया था.

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