Maha Kumbh Gangajal: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जहां दुनियाभर से लोग पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु कुंभ में आस्था की डुबकी लगाकर तृप्त हो रहे हैं. रोजाना कुंभ में लाखों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं और पवित्र गंगा के स्पर्श से मन को शांत कर रहे हैं. हमारे ग्रंथों में इस गंगाजल को काफी ज्यादा पवित्र माना गया है और यही वजह है कि लगभग हर किसी के घर में गंगाजल जरूर होता है. इस गंगाजल को लेकर एक पुराना किस्सा भी है, जिसे कम ही लोग जानते हैं. अंग्रेजों के जमाने में गंगाजल को कई समुद्र पार कर लंदन ले जाया जाता था. इसके पीछे क्या कारण था, आइए जानते हैं... 

महाराजा सवाई माधोसिंह की अटूट भक्तिदरअसल राजा महाराजाओं के दौर में भी गंगाजल को एक ऐसा पानी माना जाता था, जिसके स्पर्श मात्र से ही आप शुद्ध हो जाते हैं. यही वजह है कि चांदी के कलशों में हजारों लीटर गंगाजल लंदन भेजा गया और वहां इससे शुद्धिकरण हुआ. इसके पीछे महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है. जो गंगा के सच्चे भक्त थे और उन्होंने कभी भी गंगाजल को खुद से अलग नहीं किया.

ये है गंगाजल के लंदन पहुंचने की कहानीब्रिटेन के होने वाले किंग ने जब जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय को अपने राजतिलक समारोह में आमंत्रित किया तो महाराजा के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया. उस दौर में हिंदू लोग समुद्र पार कर दूसरे मुल्क में जाना अशुभ मानते थे. क्योंकि निमंत्रण ब्रिटेन के राजा का था, ऐसे में सीधे मना भी नहीं किया जा सकता था. 

8 हजार लीटर गंगाजल पहुंचा लंदनसभी मंत्रियों और गुरुओं से विचार-विमर्श करने के बाद एक उपाय निकाला गया. जिसमें ये तय हुआ कि एक ऐसा जहाज खोजा जाए, जिसमें कभी भी किसी भी तरह का मांस नहीं पकाया गया हो. साथ ही ये भी तय हुआ कि इस पूरे सफर के दौरान महाराजा गंगाजल का ही सेवन करेंगे और इसी से नहाएंगे. इसके बाद ओलंपिया नाम का एक जहाज लाखों के किराये पर लिया गया और उसमें चांदी के विशाल कलशों में 8 हजार लीटर गंगाजल भरा गया. इसके अलावा महाराज के साथ कई पुरोहित और सेवक भी मौजूद थे. 

लंदन पहुंचने के बाद महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय का जोरदार स्वागत हुआ और उन्हें महल में ठहराया गया. इस दौरान जब भी कोई अंग्रेज उनसे हाथ मिलाता था तो महाराजा गंगाजल से अपने हाथ धोते थे, इसके अलावा उनका खाना भी गंगाजल में ही बनता था. इसके बाद ये एक परंपरा सी बन गई और लंदन जाने पर लोग अपने साथ गंगाजल ले जाने लगे.

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