लंदन फोर्ट का नाम सुनकर आपको ये लग रहा होगा कि लंदन में किसी जगह पर ये फोर्ट होगा. लेकिन, असल में लंदन फोर्ट भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है. लंदन फोर्ट पिथौरागढ़ की महत्वपूर्ण धरोहर है. आज हम आपको इस फोर्ट से जुड़े इतिहास के बारे में बताएंगे. 


लंदन फोर्ट


बता दें कि लंदन फोर्ट का निर्माण 18वीं सदी में गोरखा राजाओं द्वारा किया गया था, जो कि पूर्व में गोरखा किला नाम से जाना जाता था. जानकारी के मुताबिक लगभग 135 वर्षों तक इसमें तहसील का कामकाज संचालित होने के कारण इतिहास व कई रहस्य दफन है. यह धरोहर गुमनाम सी हो गई थी, लेकिन अब इस किले को संरक्षित किया गया है. जो आजकल पिथौरागढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. इस किले को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते है.


बाउली की गढ़


बाउली की गढ़ नाम से भी प्रसिद्ध इस किले का निर्माण 1789 में गोरखा शासकों ने करवाया था. उस वक्त नगर के बीचों-बीच ऊंचे स्थान पर स्थित इस किले से शहर के चारों तरफ का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है. पिथौरागढ़ की ऐतिहासिक धरोहर लंदन फोर्ट में पुराने समय की युद्ध नीतियों के प्रमाण भी देखने को मिलते हैं. वहीं किले की दीवारों में लंबी बंदूक चलाने के लिए 152 छिद्र बनाए गए हैं.


यह छेद इस तरह से बनाए गए हैं कि बाहर से किले के अंदर किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता था.बता दें कि पिथौरागढ़ शहर के खूबसूरत नजारों के साथ साथ सूर्योदय और सूर्यास्त का अदभुत दृश्य मनमोह लेता है, जो यहां पहुंच रहे सैलानियों को काफी आकर्षित करता है. 


कैसे पड़ा नाम लंदन फोर्ट


जानकारी के मुताबिक इस किले में गोरखा सैनिक और सामंत ठहरते थे. इस किले में एक तहखाना, बंदी ग्रह और न्याय भवन भी है. संगोली की संधि के बाद 1815 में अंग्रेजों ने इस किले का नाम बाउली की गढ़ से बदलकर लंदन फोर्ट कर दिया था. 1910-20 के बीच में अंग्रेजों द्वारा इस किले की मरम्मत करायी गई, इसके बाद इस किले को उपेक्षित छोड़ दिया गया था. किले से तहसील हटने के बाद इसे ऐतिहासिक धरोहर घोषित करके इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है.


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