What is Golden Passport: आईपीएल की पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी को लेकर एक खबर सामने आई है. ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना इंडियन पासपोर्ट सरेंडर कर दिया है. इसके बाद उन्होंने एक छोटे से देश वानुआतु की नागरिकता ले ली है. विदेश मंत्रालय की ओर से इसकी पुष्टि भी की गई है. इस खबर में कहा गया है कि ललित मोदी ने वानुआतु में मोटा निवेश करके वहां का गोल्डन पासपोर्ट भी हासिल कर लिया है, जिसके बाद वह करीब 113 देशों में वीजा फ्री एंट्री कर पाएंगे.
अब सवाल यह है कि आपने कई तरह के पासपोर्ट के बारे में सुना होगा, लेकिन यह गोल्डन पासपोर्ट क्या होता है? इसे किस तरह हासिल किया जा सकता है? इसकी खासियत क्या होती है? इस आर्टिकल में यह जानेंगे.
नागरिकता बेचने का है जरिया
दुनिया के कई देशों में नागरिकता हासिल करने को लेकर नियम बनाए गए हैं, लेकिन कुछ देश ऐसे हैं जो अपनी नागरिकता बेचते हैं. कोई भी व्यक्ति इन देशों में निवेश करके या प्रॉपर्टी खरीदकर नागरिकता हासिल कर सकता है. इस तरह से ये देश निवेश के जरिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं. वानुआतु जैसे लगभग 20 देश ऐसे हैं जो 'सिटिजनशिप बाय इन्वेस्टमेंट' (CBI) या 'गोल्डन पासपोर्ट' जैसा कार्यक्रम चला रहे हैं. इन देशों में निवेश के जरिए नागरिकता हासिल की जा सकती है.
इतने करोड़ में मिल जाता है गोल्डन पासपोर्ट
ललित मोदी ने वानुआतु की नागरिकता ली है, इसके उन्होंने इस देश में करोड़ों का निवेश किया है. जानकारी के मुताबिक, वानुआतु में सिटिजनशिप खरीदने की लागत 1.18 करोड़ रुपये से 1.35 करोड़ रुपये तक है. इसके अलावा कुछ अन्य देश भी हैं, जो इस तरह का कार्यक्रम चलाकर नागरिकता बेचते हैं. ऑस्ट्रिया में इन्वेस्टमेंट का कोई पैमाना नहीं है. इस देश का नागरिक बनने पर 180 देशें में वीजा फ्री एंट्री मिल जाती है. वहीं माल्टा में 5.4 करोड़ का निवेश करने पर नागरिकता मिलती है. डॉमिनिका और सेंटर लूसिया में 83 लाख तो वहीं तुर्की भी इसमें शामिल है, जहां नागरिकता के लिए 3.3 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट करना होता है.
क्यों खरीदा जाता है गोल्डन पासपोर्ट
जो देश इस तरह का कार्यक्रम चलाकर नागरिकता बेच रहे हैं, उन देशों का पासपोर्ट काफी ताकतवर है. ऐसे मे वहां का नागरिक बनने पर कई देशों में वीजा फ्री एंट्री मिल जाती है. अधिकतर बिजनेसमैन ऐसा करते हैं, जिससे उनको अपना व्यापार बढ़ाने में मदद मिलती है. 'सिटिजनशिप बाय इन्वेस्टमेंट' कार्यक्रम वाले कई देश टैक्स हेवन हैं, यहां बिजनेस करने पर टैक्स भी नहीं देना होता है.
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