ये डिजिटल युग है ऐसे में आजकल बिना लैपटॉप या स्मार्टफोन के किसी को देखना लगभग नामुमकिन है. इंसान का ज्यादातर काम इन दिनों इन्हीं डिवाइसों से हो रहा है. यही वजह है कि इंसान अपनी हेल्थ से ज्यादा अपने इन डिवाइसों का ख्याल रखता है. हालांकि, क्या हो अगर हम कहें कि ख्याल रखने के दौरान ही आप अपने डिवाइस को खराब कर रहे हैं. खासतौर से डिवाइस को चार्ज करने के दौरान. चलिए आपको चार्जिंग का पूरा गणित समझाते हैं.


घंटों तक चार्जिंग पर लगे डिवाइस


हम अक्सर ऐसा करते हैं कि लैपटॉप और फोन को चार्जिंग पर लगा कर भूल जाते हैं. ऐसे में हमारा डिवाइस कई घंटों तक चार्जिंग में लगा रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कितना खतरनाक है. दरअसल, कई बार लोग अपने फोन या लैपटॉप को तब तक चार्ज से नहीं हटाते जब तक कि वो 100 पर्सेंट चार्ज ना हो जाए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा करना बिल्कुल सही नहीं है. चलिए आपको बताते हैं कि अगर आप ऐसा करते हैं तो आपक डिवाइस के साथ क्या होता है.


100 पर्सेंट चार्जिंग की खराबी


एक्सपर्ट्स की मानें तो मोबाइल या लेपटॉप की बैटरी जो लीथियम से बनी होती है वो उस वक्त ज्यादा बेहतर काम करती है जब आपका डिवाइस 30 से 50 फीसदी चार्ज हो. ऐसे में अगर आप उसे हर बार 100 फीसदी ही चार्ज करेंगे तो ये आपकी बैटरी और डिवाइस दोनों के लिए सही नहीं रहेगा. वहीं अगर इसे साइंटिफिक नजरिए से भी देखें तो लीथियम ऑयन बैटरी की लाइफ 2 से 3 साल की मानी जाती है. ऐसे में डिवाइस की बैटरी में चार्ज साइकिल 300 से 500 का होता है. यानी कि इस बैटरी को 300 से 500 बार तक ही जीरो से 100 फीसदी तक चार्ज किया जा सकता है.


कितना चार्ज करना चाहिए


अब सवाल उठता है कि फिर ऐसा कौन सा समय होता है जब फोन या लैपटॉप को चार्जिंग से निकाल लेना चाहिए. एक्सपर्ट्स की मानें तो फोन या लैपटॉप आप चार्ज पर तब लगाएं जब उसकी बैटरी 20 पर्सेंट से कम रह जाए. वहीं इसे चार्जिंग से तब निकालें जब डिवाइस की बैटरी 80 फीसदी तक या उससे ऊपर हो जाए.


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