भारत में बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों जैसे दिल्ली यूनिवर्सिटी, JNU, BHU और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव चर्चा का विषय रहते हैं. यहां के चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए भविष्य के नेताओं को तैयार करने का मंच हैं, बल्कि छात्र नेताओं के लिए भी कई तरह के आर्थिक लाभ लेकर आते हैं. हालांकि, छात्रसंघ के पदों पर सीधे तौर पर कोई वेतन या सैलरी नहीं दी जाती. फिर भी, विभिन्न स्रोतों से होने वाली कमाई और सुविधाएं छात्र नेताओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती हैं. चलिए जानते हैं कि छात्रसंघ चुनाव जीतने पर हर साल कितने रुपये कमाते हैं छात्र नेता और किस पोस्ट पर होती है ज्यादा कमाई. 

छात्रसंघ नेताओं की जिम्मेदारियांछात्रसंघ में आमतौर पर चार प्रमुख पद होते हैं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव. प्रत्येक पद की अपनी जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे छात्रों की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाना, कैंपस की गतिविधियों का आयोजन करना और विभिन्न योजनाओं को लागू करना. लेकिन इन जिम्मेदारियों के साथ-साथ कुछ ऐसी सुविधाएं और अवसर भी मिलते हैं, जो आर्थिक लाभ का जरिया बनते हैं. 

कमाई के सोर्स

छात्रनेताओं की कोई सैलरी नहीं होती बल्कि उनकी आय विश्वविद्यालय और उनके प्रभाव पर निर्भर करता है. छात्रसंघ के पदाधिकारी कैंपस में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों, फेस्ट और सेमिनार जैसे आयोजनों का आयोजन करते हैं. इन आयोजनों में प्रायोजकों (स्पॉन्सर्स) से फंडिंग मिलती है. कई बार ये प्रायोजन लाखों रुपये तक हो सकते हैं. कई छात्र संगठन बड़े राजनीतिक दलों से समर्थित होते हैं, जैसे ABVP (BJP), NSUI (Congress) और AISA (वामपंथी दल). इन दलों से छात्र नेताओं को प्रचार, आयोजन और अन्य गतिविधियों के लिए फंडिंग मिलती है.

अन्य सोर्स

इसके अलावा छात्रसंघ के बड़े पदों पर बैठे नेताओं को अक्सर स्थानीय व्यवसायियों, कोचिंग संस्थानों और अन्य संगठनों से व्यक्तिगत प्रायोजन या सहायता मिलती है. यह राशि उनके प्रभाव और नेटवर्क पर निर्भर करती है. बता दें कि छात्रसंघ का अध्यक्ष सबसे प्रभावशाली पद होता है. एक अध्यक्ष को सुविधाओं और प्रायोजनों के जरिए सालाना अच्छी कमाई हो सकती है. बड़े विश्वविद्यालयों में यह राशि और भी अधिक हो सकती है.

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