फैशन की दुनिया में हर रोज नया बदलाव आता रहता है. ऐसे में क्या लड़के और क्या लड़कियां इस कन्फ्यूजन में रहते हैं कि किस ड्रेस के साथ कौन सा फुटवियर ठीक रहेगा. इसी वजह से दुनिया में फुटवियर कंपनियां भी ग्रो कर रही हैं और उनका बिजनेस तेजी से चल रहा है. लोग फुटवियर खरीदने के लिए अपने पैरों के कंफर्ट के साथ-साथ फैशन का भी खूब ध्यान रखते हैं. लेकिन जब वही फुटवियर पुराने हो जाते हैं या फिर फट जाते हैं तो या हम उनको फेंक देते हैं या फिर किसी संस्था या गरीब को दान कर देते हैं. अब फुटवियर गरीब या संस्था को दान करने तक तो ठीक है, लेकिन इनको फेंक देना किस हद तक पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बनता जा रहा है, चलिए जानें.
कैसे पर्यावरण पर असर डालते हैं पुराने जूते
फुटवियर फैंशन ट्रेंड पर जितना प्रभाव डालते हैं, उतने ही ये पर्यावरण के लिए भी खतरा हैं. इसमें कचरे के साथ-साथ, पानी का प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी शामिल है. पुराने जूते-चप्पल लैंडफिल में जाते हैं, जहां पर वे भूमि और पानी को प्रदूषित करते हैं. कई सारे जूते नॉन-बायोडिग्रेडेबल भी होते हैं, इस वजह से वे पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं. जूतों को बनाने में कई तरह से खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे कि कुछ जूते-चप्पल चमड़े से बनते हैं, तो वहीं कुछ रबर से. दोनों ही पर्यावरण के लिए सही नहीं हैं.
क्यों बन रहे तबाही का कारण
जूते को बनाने में रसायनों, रंगने के लिए केमिकल और जोड़ने के लिए भी केमिकल आदि का इस्तेमाल किया जाता है. ये पानी में जाने से पानी के स्रोतो को प्रदूषित करते हैं. फुटवियर में सिंथेटिक चीजों का भी इस्तेमाल होता है, जो कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है. ये जलवायु परिवर्तन के लिए खतरनाक हैं. जूतों के लिए चमड़ा और कुछ प्राकृतिक सामान का भी इस्तेमाल किया जाता है, इस वजह से वनों की कटाई होती है. ऐसे में पर्यावरण की तबाही को रोकने के लिए जूतों को फेंकने की बजाय उनकी मरम्मत कराई जा सकती है. या फिर ऐसे जूते खरीदे जा सकते हैं जो कि बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बने हों. ऐसे में पर्यावरण को नुकसान कम पहुंचता है. इसके अलावा आप पुराने जूतों को रिसाइकिल, दान भी कर सकते हैं, बजाय कचरे में फेंकन के.
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