अमेरिका यूक्रेन को नाटो-जैसी सुरक्षा गारंटी देने पर विचार कर रहा है, जिसके बदले वह यूक्रेन में अपने सैनिक तैनात कर सकता है. यह कदम रूस के साथ चल रहे तनाव को और बढ़ा सकता है. चलिए जानते हैं कि क्या नॉटो की सदस्यता के बदले यूक्रेन में अपने सैनिक भेज सकता है अमेरिका. पुतिन इस बात पर राजी हो गए हैं कि अमेरिकी और यूरोपीय देश यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा दे सकते हैं.
यूक्रेन को दे सकते हैं नाटो जैसी सुरक्षा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में अलास्का में हुई एक बैठक में यह संकेत मिले हैं कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो के अनुच्छेद 5 जैसी सुरक्षा गारंटी दे सकता है. नाटो का अनुच्छेद 5 कहता है कि किसी एक सदस्य देश पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा. यानी की नाटो के सभी 32 सदस्य देश उस हमलावर देश का सामना करेंगे. यूक्रेन लंबे समय से ऐसी सुरक्षा गारंटी की मांग कर रहा है. हालांकि, यह गारंटी इतनी आसान नहीं है. इसके बदले अमेरिका यूक्रेन में अपने सैनिक तैनात करने की शर्त रख सकता है. ऐसा होने पर यूक्रेन में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी रूस के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है, क्योंकि रूस शुरू से ही यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का विरोध करता रहा है.
पहले भी इन देशों में भेज चुका है सैनिक
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने किसी देश में सैन्य सहायता या तैनाती के लिए ऐसी रणनीति अपनाई हो. इतिहास में कई उदाहरण हैं जहां अमेरिका ने अपने भू-राजनीतिक हितों को बढ़ाने के लिए सैनिक भेजे हैं. अमेरिका ने अतीत में गैर-नाटो देशों में सैन्य हस्तक्षेप किया है, जैसे कि 1995 में यूगोस्लाविया में बिल क्लिंटन के नेतृत्व में और 2011 में लीबिया में बराक ओबामा के नेतृत्व में. हालांकि, ये हस्तक्षेप नाटो की सदस्यता के बदले नहीं थे, बल्कि मानवीय या रणनीतिक हितों के लिए किए गए थे
यूक्रेन पर क्या होगा असर?
यदि अमेरिका यूक्रेन में सैनिक भेजता है, तो यह न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध को प्रभावित करेगा, बल्कि यूरोप में नाटो की स्थिति को भी मजबूत करेगा. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इससे रूस और नाटो के बीच तनाव बढ़ सकता है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन में पश्चिमी सैनिकों की तैनाती रूस के खिलाफ युद्ध का ऐलान होगी. इसे भी पढ़ें: मेट्रो से कितनी अलग होती है मोनोरेल, जानें कब हुई थी इसकी शुरुआत?