मुंबई की मोनोरेल एक बार फिर चर्चा में आ गई है. मंगलवार को भारी बारिश के बाद अचानक पावर सप्लाई ठप होने से ट्रेन बीच ट्रैक पर रुक गई और करीब 582 यात्री घंटों तक फंसे रहे. बाद में क्रेन की सहायता से सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर मोनो रेल बार-बार तकनीकी खराबियों की चपेट में क्यों आ जाती हैं जबकि दिल्ली मेट्रो जैसे नेटवर्क हर दिन लाखों यात्रियों को बिना किसी रूकावट मंजिल तक पहुंचाते हैं.
मेट्रो और मोनोरेल भले ही ऊपर से एक जैसी लगती हो लेकिन दोनों की संरचना, तकनीकी क्षमता और संचालन में बड़ा अंतर है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताएंगे कि मुंबई मोनोरेल मेट्रो से कितनी अलग होती है और इसकी शुरुआत कब हुई थी.
ट्रैक और तकनीक का फर्क
मोनोरेल सिर्फ एक कंक्रीट बीम पर चलती है, जिस पर रबर टायर लगे होते हैं जबकि मेट्रो रेल सामान्य स्टील पटरियों पर दौड़ती है. जिससे यह ज्यादा मजबूत और भरोसेमंद मानी जाती है. मुंबई मोनोरेल में करंट साइड में लगी मेटल पटरी से लिया जाता है. ऐसे में अगर सप्लाई किसी एक कनेक्शन में रुक जाए तो पूरी लाइन ठप हो जाती है. इसके मुकाबले दिल्ली मेट्रो ओवरहेड कैटेनरी सिस्टम से बिजली लेती है, जिसमें बैकअप की सुविधा रहती है.
यात्री क्षमता
चार कोच वाली मोनोरेल में सिर्फ 1000 यात्री ही सफर कर सकते हैं. वहीं आठ कोच वाली मेट्रो ट्रेन में ढाई हजार से ज्यादा लोग एक साथ यात्रा कर सकते हैं. यही कारण है कि भीड़भाड़ वाले शहरों में मेट्रो ज्यादा कारगर साबित होती है. मोनोरेल मेंटेनेंस के लिहाज से भी महंगी और मुश्किल है. बीच रास्ते खराब होने पर पूरी लाइन बाधित हो जाती है. इसके उलट मेट्रो का संचालन ज्यादा लचीला है और खराब ट्रेन को तुरंत साइडिंग पर ले जाया जा सकता है.
मुंबई मोनोरेल की कहानी
मुंबई में मोनोरेल को मेट्रो की सहायक सेवा के तौर पर लाया गया था. 2008 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी, जिसके बाद 2014 में पहला चरण वडाला से चेंबर में तक शुरू हुआ था. इसके बाद 2019 में दूसरा चरण वडला से संत गाडगे महाराज चौक तक शुरू हुआ था. शुरुआत से ही इसमें तकनीकी गड़बड़ियां, टायर जलने और बिजली सप्लाई रुकने की घटनाएं होती रही है. वहीं शुरुआत में मोनोरेल का संचालन निजी कंपनियों के पास था लेकिन बाद में एमएमआरडीए ने खुद जिम्मेदारी संभाली. फिलहाल दिसंबर 2023 से इसका संचालन महा मुंबई मेट्रो ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड कर रहा है.
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