बिहार के छात्रों का भविष्य सुधारने वाले खान सर अब सिर्फ क्लासरूम तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि अब वे समाजसेवा में भी हाथ बढ़ाने जा रहे हैं. सावन के अंतिम सोमवार के मौके पर उन्होंने माथे पर त्रिपुंड लगाकर एलान किया है कि अब हर बड़े त्योहार के मौके पर एक नई स्वास्थ्य सुविधा शुरू होगी. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा है कि वे बिहार के हर जिसे में डायलिसिस सेंटर और ब्लड बैंक खोलेंगे. इसके लिए जापान और जर्मनी से मशीनें मंगाई जा रही हैं. उनके इस प्लान में आधुनिक अस्पताल भी शामिल हैं. 

खान सर ने यह भी कहा है कि वे हर त्योहार के मौके पर एक नई सेवा देने का काम करेंगे. चलिए जानें कि क्या खान सर की तरह कोई भी चैरिटी अस्पताल खोल सकता है. आखिर इसके लिए क्या नियम और कानून होते हैं. 

चैरिटी अस्पताल खोलने के नियम

चैरिटी अस्पताल को खोलने के लिए आपको कई नियम और प्रक्रियाओं का पालन करना होता है. मुख्य रूप से गैर-लाभकारी संगठन के रूप में रजिस्टर कराना, वित्तीय सहायता की नीति और सामुदायिक लाभ पर केंद्रित होते हैं. इसके अलावा इस हॉस्पिटल के लिए आपको जरूरी लाइसेंस और अनुमति प्राप्त करनी होती है, जैसे कि राज्य स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस, फायर डिपार्टमेंट से NOC और बायो-मेडिकल वेस्ट का प्रबंधन जैसी चीजें करनी होती हैं. 

नॉन-प्रॉफिटेबल ट्रस्ट के रूप में रजिस्ट्रेशन

  • इसके लिए सबसे पहले एक ट्रस्ट या सोसाइटी के रूप में रजिस्ट्रेशन कराना होता है.
  • इसमें ट्रस्टी बोर्ड का गठन करना और जरूरी कागजात जमा करने होते हैं. 
  • ट्रस्ट का क्या उद्देश्य है और कार्यक्षेत्र को स्पष्ट रूप से बताना होता है.
  • वित्तीय जरूरतों के लिए दान और सरकारी सहायता प्राप्त करने की प्लानिंग करनी होती है.

वित्तीय सहायता नीति और सामुदायिक लाभ

  • वित्तीय सहायता नीति के दौरान स्पष्ट रूप से बताना होता है कि चैरिटी देखभाल के लिए कौन-कौन पात्र है और किस स्तर की सहायता प्रदान की जाएगी. मरीज इसके लिए कैसे आवेदन कर सकता है.
  • वित्तीय सहायता नीति यानि FAP मरीजों को आसानी से उपलब्ध कराना होगा और विभिन्न भाषाओं में भी होना चाहिए. 
  • अस्पताल को यह भी दिखाना होगा कि वह आखिर कैसे समुदाय को लाभान्वित कर रहा है. इसमें व्यक्ति या सेवा आधारित लाभ भी शामिल हो सकते हैं. 

लाइसेंस व अन्य नियम

  • इस अस्पताल को चलाने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना होगा और फायर डिपार्मेंट से NOC की जरूरत होती है.
  • बायो-मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन के लिए अनुमति लेनी होती है व फार्मेसी लाइसेंस की जरूरत होती है. 
  • उत्तर प्रदेश की बात करें तो 50 से कम बेड वाले निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए पांच साल का रजिस्ट्रेशन होता है. 
  • इसके अलावा उनको हॉस्पिटल के बाहर एक सार्वजनिक बोर्ड लगाकर अपनी सारी जानकारी देनी होती है.

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