सऊदी अरब और भारत के बीच दोस्ताना संबंध हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार भी काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसके बावजूद सऊदी अरब में एक भारतीय प्रॉपर्टी को लेकर सदियों से विवाद बना हुआ है और न ही भारत सरकार न सऊदी सरकार इस मामले को सुलझा पाई है. नतीजतन सऊदी सरकार के खाते में इस प्रॉपर्टी को लेकर जमा रकम की कीमत बढ़ती जा रही है और यह अब 3 लाख 73 हजार डॉलर तक पहुंच गई है. चलिए जानते हैं ये पूरा मामला क्या है? प्रॉपर्टी किसकी है? इसको लेकर विवाद क्या है? और क्यों यह रकम सदियों बाद भी निकाली नहीं गई?
50 साल पुराना है संपत्ति विवाद
सऊदी अरब और भारत के बीच यह संपत्ति विवाद करीब 50 साल पुराना है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में एक भारतीय कारोबारी ने 1870 में इस्लाम के सबसे पवित्र शहर मक्का में एक गेस्ट हाउस बनवाया था. इन कारोबारी का नाम मयंकुट्टी केई था, जो केरल के रहने वाले थे और इनका कारोबार मुंबई से लेकर पेरिस तक फैला हुआ था. मयंकुट्टी का गेस्ट हाउस मस्जिद अल-हरम के पास स्थित था, जिसे मक्का शहर के विस्तार के दौरान ढहा दिया गया था.
क्या है विवाद की वजह?
सऊदी प्रशासन ने इस संपत्ति को गिराने के एवज में हर्जाने के तौर पर 14 लाख रियाल सरकारी खाते में जमा किए थे. अगर इस संपत्ति को आज के समय में तुलना की जाए तो यह रकम 3 लाख 73 हजार अमेरिकी डॉलर के करीब होती है. अब आप सोच रहे होंगे कि जब कारोबारी का गेस्ट हाउस गिराया गया और उसका हर्जाना सरकारी खाते में जमा किया गया तो इसे किसी ने निकाला क्यों नहीं? दरअसल, जिस समय हर्जाने को सरकारी खाते में जमा किया गया था, उस समय इस संपत्ति के वैध उत्तराधिकारी की पहचान नहीं हो सकी थी. भारतीय कारोबारी मयंकुट्टी केई के परिवार के दो पक्षों के बीच में उत्तराधिकार को लेकर झगड़ा है, जिस कारण यह रकम भी सऊदी सरकार के खाते में फंसी हुई है.
कितनी बड़ी थी यह संपत्ति
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कारोबारी ने मक्का शहर में एक गेस्ट हाउस का निर्माण कराया था. यह गेस्ट हाउस इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल मस्जिद अल हरम से चंद कदमों की दूरी पर थी, जिसमें 22 कमरे और कई बड़े हॉल थे. पूरा गेस्ट हाउस करीब डेढ़ एकड़ में फैला हुआ था और इसके निर्माण के लिए लकड़ी केरल से मंगवाई गई थी. इतना ही नहीं इस गेस्ट हाउस के रखरखाव के लिए एक मैनेजर भी नियुक्त किया गया था.