ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी जंग खतरनाक होती जा रही है. 13 जून को इजरायली हमले के बाद ईरान ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए तेल अवील, हाइफा जैसे कई बड़े शहरों को निशाना बनाया है. दूसरी तरफ इजरायल ने ईरान पर और भी बड़े हमले शुरु कर दिए हैं. ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी जंग के पीछे सिर्फ ईरान का परमाणु कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इन दोनों मुल्कों की दुश्मनी का इतिहास काफी पुराना है.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को इजरायल अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा समझता है. यही कारण है कि वह दशकों से ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाता रहा है. 13 जून को भी ईरान पर हमले के बाद इजरायल ने दावा किया कि उसने ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया है. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब इजरायल ने ऐसा किया हो. इससे पहले वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख मोहसेन फखरजादे को भी मौत की नींद सुला चुका है. यह ऑपरेशन इतना सीक्रेट था कि फखरजादे की हत्या के बाद दुनिया हैरान रह गई थी.
बहुत ही गोपनीय थी फखरजादे की जिंदगी
इजरायल ने 2020 में ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मोहसेन फखरजादे की हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड के बाद ही ज्यादातर ईरानियों को फखरजादे के बारे में पता चला. इससे पहले उनकी जिंदगी काफी गोपनीय थी, यहां तक कि उनकी इक्का-दुक्का तस्वीरें ही पब्लिक डोमेन में उपलब्ध थीं. कहा जाता है कि फखरजादे शुरुआत में इमाम हुसैन विश्वविद्यालय में पढ़ाने का काम करते थे, लेकिन इसके साथ ही वह रिवॉल्यूशनरी गार्ड में ब्रिगेडियर जनरल के पद पर भी काम कर रहे थे. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फखरजादे का पढ़ाने का काम एक तरह का कवर था, जिससे उनकी जिंदगी का दूसरा पहलू हमेशा छिपा रहे.
रिमोट कंट्रोल वाली मशीनगन से की गई थी हत्या
ईरान के परमाणु कार्यक्रम की भनक अमेरिका समेत दुनिया की कई सुरक्षा एजेंसियों को लग चुकी थी, यहां तक कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम के जनक फखरजादे का नाम भी अब तक कई रिपोर्ट में आ चुका था. इसके बाद मोसाद एक्टिव हो गई और उसने 27 नवंबर, 2020 को ईरान के अंदर अब तक के सबसे सनसनीखेज ऑपरेशन को अंजाम दिया था. इस ऑपरेशन में रिमोट कंट्रोल वाली एक मशीन गन से फखरजादे की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के बाद पता चला था कि मशीन गन को टुकड़ों में ईरान के अंदर लाकर एसेंबल किया गया था और इस काम को करीब 20 लोगों ने आठ महीनों में अंजाम दिया था. हत्या के बाद यह भी पता चला कि मशीन गन एक सैटेलाइट से जुड़ी हुई थी, जो हजारों मील दूर बैठे चेहरे को पहचानने वाली तकनीक से लैस थी.
कार पर चलाई गई थीं ताबड़तोड़ गोलियां
27 नवंबर, 2020 को फखरजादे को तेहरान से करीब 40 मील पूर्व में गोलियों से निशाना बनाया गया था, जिस समय यह हमला हुआ वह काले रंग की निसान टिएना गाड़ी में सवार थे. फखरजादे जिस रूट से गुजरने वाले थे वहां पहले से एक पिकअप खड़ा किया गया था, जिसमें पहले से कैमरे लगे हुए थे. इन कैमरों की मदद से ही कार में बैठे फखरजादे की पुष्टि हुई थी. हमले के बाद मशीन गन अपने आप फट गई थी और उस पिकअप के भी एक ब्लास्ट में उड़ा दिया गया था.
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