Iran Hostage Crisis: ईरान और इजरायल के बीच शुरू हुए सैन्य संघर्ष में अमेरिका की भूमिका धीरे-धीरे सामने आने लगी है. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के लिए सरेंडर करने की टाइमलाइन भी तय कर दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान को दो सप्ताह का समय दिया है, जिसके बाद संभव है कि यूएस आर्मी भी ईरान के खिलाफ जंग का ऐलान कर सकती है.
अमेरिका और ईरान की यह दुश्मनी नई नहीं है. इन दो मुल्कों के बीच कटुता पूर्ण संबंधों का इतिहास काफी पुराना है. इसके पीछे करीब 45 साल पहले घटी वह घटना है, जिसके बाद ये दोनों देश हमेशा के लिए कट्टर दुश्मन बन गए. इतिहास में इस घटना को ईरान बंधक संकट के रूप में जाता है. चलिए जानते हैं इसके बारे में...
1979 में शुरू हुआ था ईरान बंधक संकट
अमेरिका और ईरान के बीच दुश्मनी की शुरुआत 1953 में तख्तापलट के साथ हुई थी. अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ने ईरान के तेल भंडार पर कब्जा करने के लिए यहां प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसद्दिक को सत्ता से हटाकर शाह रजा पहलवी को ईरान की सत्ता पर बिठाया. अमेरिका समर्थन शाह रजा पहलवी ने धीरे-धीरे ईरान के संसाधन अमेरिका व ब्रिटेन को सौंप दिए. ईरान की जनता में इसके खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया और यह नाराजगी ही ईरान में इस्लामिक क्रांति की वजह बन. आयतोल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में 16 जनवरी 1979 को ईरानी शाह मोहम्मद रजा पहलवी सरकार का तख्तापलट हुआ और उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा. हालांकि, ईरान की इस्लामिक क्रांति के बाद ऐसी घटना घटी, जिसने इस मुल्क पर हमेशा के लिए काला धब्बा लगा दिया.
अमेरिकी दूतावास पर कब्जा
इस्लामिक क्रांति और ईरान में नई सरकार के गठन के बाद भी लोगों का गुस्सा अमेरिका के खिलाफ कम नहीं हुआ. 4 नवंबर, 1979 को ईरानी छात्रों ने अमेरिकी दूतावास पर कब्जा कर लिया और यहां के 66 कर्मचारियों को बंधक बना लिया. दो सप्ताह बाद गैर अमेरिकी नागरिकों को रिहा कर दिया गया, लेकिन 52 लोग ईरानी छात्रों के कब्जे में ही रहे. इन लोगों को 444 दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया.
अमेरिका नहीं करा पाया बंधकों को रिहा
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने कूटनीतिक तरीके से इस संकट को सुलझाने का खूब प्रयास किया, लेकिन वे अमेरिकी नागरिकों को रिहा कराने में असफल रहे. इसके बाद 24 अप्रैल, 1980 को अमेरिका ने एक सैन्य मिशन का आदेश दिया, लेकिन यह भी नाकामयाब रहा और इसमें आठ अमेरिकी सैनिक मारे गए. इसके बाद 1980 में ही अमेरिका में चुनाव हुए, जिसमें जिमी कार्टर चुनाव हार गए और रोनल्ड रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ ही ईरान बंधक संकट भी खत्म हुआ और 52 लोगों को मुक्त कर दिया गया.
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