ईरान और इजराइल के बीच खूनी संघर्ष चल रहा है, जिससे दुनिया हैरान है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह तीसरे विश्व युद्ध का ट्रेलर है? अगर ऐसा है तो क्या युद्ध की चिंगारी पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लेगी. क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे को तबाह करने की धमकी दे रहे हैं और अमेरिका भी इस जंग में कूदने की फिराक में है. अमेरिका जंग में इजराइल का साथ दे रहा है और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कह दिया है कि जब तक ईरान के सारे परमाणु ठिकाने तबाह नहीं हो जाते हैं, तब तक ये हमले नहीं रुकेंगे. लेकिन अगर सच में तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया तो किन देशों पर पहला हमला होगा और कौन से देश सुरक्षित रहेंगे. 

रूस ने की तीसरे विश्व युद्ध की बात

इजराइल के ईरान पर हमले के बाद रूस की प्रतिक्रिया ने सभी को हैरान कर दिया है. रूस की सेना के टॉप जनरल अलाउदिनोव ने कहा है कि इजराइल द्वारा ईरान पर किए गए हमले के साथ अब तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है. जनरल ने साफ तौर पर कह दिया है कि 10 लाख सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार किया जाए. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि ईरान और इजराइल की जंग में अब दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका, रूस और चीन भी शामिल हो रहे हैं. 

कहां से शुरू हो सकता है तीसरा विश्व युद्ध

अगर यह सच हुआ तो तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत पश्चिमी एशिया से हो सकती है. टकराव बढ़ा तो इसमें कई देश शामिल हो सकते हैं. अब सवाल है कि युद्ध किन देशों के बीच हो सकता है और कहां पर हमला होगा. इस वक्त अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश है और वो रूस व चीन को अपना प्रतिद्वंदी मानता है. अमेरिका के साथ यूरोपीय देश भी इस जंग में शामिल हो सकते हैं. वहीं नॉटो देश भी अमेरिका का साथ दे सकते हैं. वहीं दूसरे गुट में चीन, रूस, उत्तर कोरिया और अरब देश शामिल हो सकते हैं. 

कौन से देश सबसे सुरक्षित

युद्ध और हमले के अलावा अगर बात करें इस दौरान सबसे सुरक्षित देश की, तो कुछ देश ऐसे भी हैं जो सबसे सुरक्षित रहेंगे. इनमें स्विट्जरलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड, आइसलैंड, स्वीडन, भूटान और फिनलैंड शामिल हैं. स्विट्जरलैंड को हमेशा तटस्थता और शांति के लिए जाना जाता है. इसने पिछले कई दशकों से युद्ध में हिस्सा नहीं लिया है. न्यूजीलैंड अपनी भौगोलिक स्थिति और राजनीतिक तटस्थता के लिए सुरक्षित माना जाता है. कनाडा की विशाल भौगोलिक सीमाएं और कम जनसंख्या इसको सुरक्षित बनाते हैं. आइसलैंड की भौगोलिक स्थिति और कम जनसंख्या इसे किसी भी युद्ध से दूर रखती है. स्वीडन का मजबूत सामाजिक सुरक्षा तंत्र इसे सुरक्षित देशों की लिस्ट में डालता है. फिनलैंड की सरकार ने हमेशा से सामरिक सुरक्षा को पहले रखा है. भूटान की भौगोलिक स्थिति और कम जनसंख्या इसको सुरक्षित बनाते हैं. 

यह भी पढ़ें: इजयराल-ईरान ही नहीं इन देशों की लड़ाई में भी कूद चुका है अमेरिका, भारत के खिलाफ भी उतार दी थी सेना