अंतरिक्ष की दुनिया ही अलग होती है, ये पृथ्वी जैसी नहीं होती. इसी वजह से जो वैज्ञानिक अंतरिक्ष में रहते हैं यानी अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन में रहते हैं उनकी जीवन शैली ही बिल्कुल अलग होती है. आज हम आपको इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बारे में बताते हैं. ये एक ऐसी जगह है जहां दुनिया कई देशों के वैज्ञानिक रहते हैं और स्पेस के बारे में अपनी रिसर्च करते हैं.


इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में कौन रहता है?


इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अमेरिका, जापान, रूस समेत 15 देशों की स्पेस एजेंसियों के वैज्ञानिक रहते हैं. इसकी स्थापना भी इन्हीं देशों ने मिल कर की है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रह कर वैज्ञानिक कई ऐसी पहेलियों की सुलझा लेते हैं, जिन्हें पृथ्वी पर रहते हुए नहीं सुलझाया जा सकता है.  इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहने वाले वैज्ञानिकों का खास मकसद है अंतरिक्ष में इंसानों के रहने लायक संभावनाओं की तलाश करना. ये वैज्ञानिक जब अपना समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में गुजार कर वापिस धरती पर आते हैं, तब इन पर शोध होता है कि आखिर बिना ग्रेविटी के इतने समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहने पर उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ा.


24 घंटे में 16 बार दिन कैसे होता है?


अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में दिन और रात इतनी जल्दी जल्दी कैसे होता है. दरअसल, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती के एलईओ ऑर्बिट में मौजूद है और ये लगातार धरती के चक्कर लगाता रहता है. हालांकि, इसकी स्पीड काफी तेज है. यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन हर 90 मिनट में धरती का एक चक्कर पूरा कर लेता है. यही वजह है कि यहां हर 90 मिनट में दिन और रात होता है. यानी पृथ्वी पर अगर 24 घंटे में एक बार दिन और रात होती है तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में ये 16 बार होती है.


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