Indian Currency: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भारत की प्रमुख मुद्रा संस्था है जो नए मुद्रा नोट छापती है और उन्हें देशभर के वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से वितरित करती है। मुद्रा के रुप में सिक्कों का प्रचलन प्राचीन काल से ही होता आया है और आज तक हो रहा है. भारतीय मुद्रा में कागज के नोटों और सिक्कों का प्रचलन होता है. आपने गौर किया होगा कि पहले के मुकाबले सिक्कों का आकार अब घट गया है. आइए जानते हैं इसके पीछे आखिर क्या वजह है.


भारत में चार जगह बनते हैं सिक्के


जिस जगह सिक्के बनाए जाते हैं, उस कारखाने को मिंट कहते हैं. अपने देश में चार मिंट हैं. हर मिंट में बने सिक्के पर उस मिंट का खास चिन्ह बना होता है, जिससे पता चलता है कि वह सिक्का कहां बना है. 


सिक्कों पर बने होते हैं निशान


यदि सिक्के पर तारीख के नीचे 'स्टार' चिह्न हो, तो इसका अर्थ होता है कि सिक्का हैदराबाद में ढाला गया है। नोएडा में बनाए गए सिक्कों पर सिक्के के पिछले भाग पर 'ठोस बिंदु' होता है, जबकि मुंबई के सिक्कों पर 'हीरे के आकार' का निशान होता है, और कोलकाता के सिक्कों पर कोई निशान नहीं होता है।


क्यों छोटा हो रहा है सिक्कों का साइज


वर्तमान में सरकार सिक्कों के आकार को छोटा कर रही है और इस्तेमाल होने वाली धातु भी बदल रही है। अब तक, सिक्के 'क्यूप्रो निकेल' से बनाए जाते थे, लेकिन 2002 के बाद कॉपर निकेल की कीमतों में वृद्धि होने से सिक्के बनाने की लागत भी बढ़ गई। इसलिए सरकार को "फेरिटिक स्टेनलेस स्टील" का उपयोग करके सिक्के बनाने पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा है। वर्तमान में सिक्के इसी स्टील से बनाए जा रहे हैं। "फेरिटिक स्टेनलेस स्टील" मिश्र धातु में 17% क्रोमियम और 83% आयरन का मिश्रण होता है।


सिक्के की होती हैं दो वैल्यू


सिक्के के आकार को छोटा करने का मुख्य कारण इसकी वैल्यू से जुड़ा है. किसी सिक्के के दो मूल्य होते हैं - एक होता है सिक्के का "अंकित मूल्य" और दूसरा होता है उसका "धातु मूल्य"।


क्या होता है सिक्के का "अंकित मूल्य" ?


सिक्के का अंकित मूल्य वह राशि होती है जो सिक्के पर लिखी होती है। अगर किसी सिक्के पर 1 रुपया लिखा हो, तो उसे उसका अंकित मूल्य कहा जाता है।


क्या होता है सिक्के का "धातु मूल्य"?


सिक्के का धातु मूल्य वह मूल्य होता है जिसे सिक्के की निर्माण में प्रयुक्त धातु की मान्यता होती है। यदि किसी सिक्के को पिघलाकर उसकी धातु को बाजार में 5 रुपये में बेचा जाए, तो 5 रुपये सिक्के का धातु मूल्य कहा जाएगा।


उदाहरण के तौर पर, सोचें कि किसी सिक्के का अंकित मूल्य एक रुपया है, लेकिन उसका धातु मूल्य दो रुपये है। इस मामले में, कोई व्यक्ति धातु को घिसकर उसे दो रुपये में बाजार में बेच सकता है। लेकिन अगर ऐसा बड़े पैमाने पर होता है, तो बाजार में सिक्कों की कमी होगी, जिससे सरकार को तकलीफ हो सकती है।


वहीं, यदि किसी सिक्के का अंकित मूल्य दो रुपये है, लेकिन उसका धातु मूल्य एक रुपये है, तो व्यक्ति को सिक्के को धातु में पिघलाने पर एक रुपये का नुकसान होगा। इसलिए वह सिक्के को धातु में नहीं पिघलाएगा। इस लिए सरकार सिक्कों के आकार को छोटा कर देती है.


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