एक तरफ अमेरिकी डॉलर के सामने भारतीय रुपए की कीमत गिरती जा रही है. वहीं दूसरी तरफ कुछ देश ऐसे हैं, जिनकी करेंसी के सामने रुपया काफी मजबूत स्थिति में है. ऐसा ही एक देश है सूडान. अगर आप सूडान जाने की योजना बना रहे हैं या वहां की करेंसी को लेकर जानना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है. दरअसल, सूडान की ऑफिशियल मुद्रा सूडानी पाउंड के मुकाबले भारतीय रुपया काफी मजबूत कंडीशन में है. मौजूदा विनिमय दर के हिसाब से भारत का रुपया सूडानी पाउंड से करीब 6 गुना ज्यादा ताकतवर माना जा रहा है. ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि अगर आप सूडान में एक लाख भारतीय रुपया लेकर जाते हैं तो वहां इसकी कीमत कितनी हो जाएगी. क्या है सूडान की करेंसी?
सूडान की आधिकारिक मुद्रा का नाम Sudanese Pound है जिसे SDG से दर्शाया जाता है. यह करेंसी सूडान के सेंट्रल बैंक की ओर से जारी की जाती है. एक सूडानी पाउंड को 100 Qirsh में बांटा गया है. वहीं देश में 2,5, 10, 20 और 50 पाउंड के नोट चलन में है. जबकि सिक्कों में पयास्टर और एक पाउंड के सिक्के फेमस है. सूडान से कितना मजबूत भारतीय रुपया? मौजूदा दरों के अनुसार एक सूडानी पाउंड की कीमत भारतीय रुपये में काफी कम है. यही वजह है कि अगर कोई भारतीय 1 लाख रुपये लेकर सूडान जाता है तो वहां उसे बड़ी रकम मिलती है. वहीं मार्केट रेट के हिसाब से एक लाख भारतीय रुपये बदलने पर लगभग 6.67 लाख से ज्यादा सूडानी पाउंड मिल सकते हैं. हालांकि यह दर इंटरबैंक रेट पर आधारित होती है और रियल एक्सचेंज रेट में थोड़ा फर्क हो सकता है. वहीं आपको बता दें कि सूडानी पाउंड एक क्लोज्ड करेंसी है. यानी यह सूडान के बाहर आमतौर पर उपलब्ध नहीं होती है. भारत में न तो बैंक और न ही ज्यादातर मनी एक्सचेंज सूडानी पाउंड बदलते हैं. ऐसे में भारतीय यात्रियों को पहले भारत में रुपये को अमेरिकी डॉलर या किसी दूसरी इंटरनेशनल करेंसी में बदलना पड़ता है और फिर सूडान पहुंचकर उसे सूडानी पाउंड में कन्वर्ट करना होता है.
सूडान और यूरोप पर ज्यादा भरोसा सूडान में लोग अपनी बचत के लिए सूडानी पाउंड से ज्यादा अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड और यूरो को महत्व देते हैं. इसकी वजह यह है कि सूडानी पाउंड को स्थिर मुद्रा नहीं माना जाता है. अमेरिकी डॉलर की कीमत वहां करीब 15 से 20 सूडानी पाउंड के आसपास बताई जाती है. वहीं आपको बता दे कि सूडान की अर्थव्यवस्था का मोटा हिस्सा पेट्रोलियम इंडस्ट्री पर निर्भर करता है. सरकारी राजस्व का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा इसी सेक्टर से आता है. इसी वजह से सूडानी पाउंड को एक तरह की पेट्रो करेंसी भी कहा जाता है, हालांकि इसकी वैश्विक मांग बहुत सीमित है.