इसरो और नासा दोनों ही महत्वपूर्णं स्पेस एजेंसियां हैं, जो कि अंतरिक्ष को लेकर रिसर्च और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. इसरो भारत की एजेंसी है, जबकि नासा अमेरिका की है. दोनों ने एक साथ कई मिशन को अंजाम दिया है और एक बार फिर से दोनों मिलकर नए मिशन को शुरू करने जा रहे हैं जिसका नाम है Ax-4 मिशन. यह मानव अंतरिक्ष यात्रा की ओर एक ऐतिहासिक कदम होगा, जो कि वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा देगा. चालक दल कड़ी मेहनत और तैयारी के बाद इस मिशन को शुरू करने वाले हैं. इसमें इसरो के अंतरिक्ष यात्री, पायलट और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का भी नाम शामिल है. 

Ax-4 मिशन में कौन-कौन शामिल

शुभांशु इस मिशन के लिए पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जा रहे हैं. जो कि भारत के गगनयान मिशन का हिस्सा हैं. Ax-4 मिशन के लिए शुभांशु के साथ तीन और लोग पेगी व्हिट्सन, जो कि कमांडर हैं और पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और ऐक्सियोम स्पेस की मानव अंतरिक्ष यान उड़ान निदेशक हैं. तीसरे शख्स हैं स्लावोस्ज उजनान्सकी जो कि मिशन वैज्ञानिक हैं और पोलैंड से ESA के अंतरिक्ष यात्री हैं. चौथे शख्स टिबर कापू हैं, जो कि हंगरी से हैं और मिशन विशेषज्ञ हैं. वो हंगेरियन स्पेस ऑफिस का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन चारों ने फ्लोरिडा पहुंचकर क्वारंटीन पीरियड शुरू कर दिया है. चलिए जानें कि आखिर यह क्वारंटीन क्यों किया जाता है. 

स्पेस में जाने से पहले क्यों किया जाता है क्वारंटीन

अंतरिक्ष में जाने से पहले क्वारंटीन एक जरूरी फेज होता है. इस दौरान पूरे क्रू को आइसोलेशन पीरियड में रखा जाता है. जिससे कि वे पूरी तरह से स्वस्थ रहें और उनको मिशन के दौरान किसी भी तरह की कोई बीमारी या फिर संक्रमण न हो. यह एक मानक प्रक्रिया होती है जो कि अंतरिक्ष मिशनों की सफलता और सुरक्षा को सुनिश्चित करती है. क्वारंटीन पीरियड को दौरान चालक दल को अलग रखा जाता है और उनकी सेहत की जांच होती है. जिससे कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को और एक्सपेरिमेंट को किसी भी तरह का कोई खतरा न हो. 

कितने दिन का होगा मिशन

Ax-4 मिशन 14 दिन का होगा और इसमें शुभांशु को शामिल किए जाने के लिए इसरो ने 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय होंगे. जबकि राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सोयूज अंतरिक्षयान में स्पेस गए थे. 14 दिन के इस मिशन में कई प्रयोग किए जाएंगे. 

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