भारत और नेपाल दोनों आसपास में स्थित हैं. नेपाल और भारत दोनों देशों में अधिकांशत: हिंदू धर्म के लोग रहते हैं. दोनों देशों में बहुत सी समानता है, लेकिन फर्क भी बहुत है. दोनों देशों के बीच में स्पष्ट सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक फर्क दिखाई देता है. चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है.
धार्मिक समानता लेकिन सामाजिक भिन्नता
नेपाल में लगभग 81.2% आबादी हिंदू है. यह किसी भी देश में हिंदुओं का सबसे अधिक प्रतिशत है. भारत में हिंदुओं की संख्या ज्यादा है, लेकिन प्रतिशत के हिसाब से भारत में यह करीब 79-80% है. दोनों में धार्मिक आधार समान जरूर है, लेकिन संस्कृति, परंपराएं, त्योहार मनाने का तरीका और सामाजिक संरचना में अंतर स्पष्ट है.
विकास और आय में अंतर
नेपाल की प्रति-व्यक्ति आय पिछले 40 साल में केवल करीब 2 गुना बढ़ी है, जबकि भारत की यह दोगुनी से भी ज्यादा और चीन की 5 गुना बढ़ी है. इस वजह से आज नेपाल के औसत आय और जीवन स्तर भारत की तुलना में काफी कम हैं. भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र (जैसे IT, वित्त, टेलीकॉम) प्रमुख है, जो GDP का लगभग 55% है.
इसके उलट, नेपाल की अर्थव्यवस्था कृषि, प्रत्यावर्तन (remittances) और पर्यटन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं. कृषि ने GDP के 23.7%, रेमिटेंस ने 24% तक योगदान दिया है.
स्थिरता और नीति में अंतर
नेपाल में अक्सर राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत असंगति लगी रहती है, जिससे दीर्घकालिक विकास बाधित हुआ है.
शैक्षणिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक मतभेद
नेपाल 2006 में ही एक धार्मिक बहुल राष्ट्र बना, जबकि पहले यह हिंदू राजतंत्र हुआ करता था. भारत ने स्वतंत्रता के बाद धर्मनिरपेक्ष संविधान अपनाया था, जिससे जात-पात और धार्मिक बहुलता को संरक्षित किया गया. नेपाल में जाति-व्यवस्था और आदिवासी पहचान पर आंदोलन और संघर्ष लंबे समय तक चले, उदाहरण के तौर पर दलितों और जनजातियों की सामाजिक पिछड़ी स्थिति.
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