भारत में हर साल 15 अगस्त को पूरे देश में उत्साह और गर्व के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस बार देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. यह दिन भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ है, जो हमें आजादी की कीमत और उसकी महत्ता की याद दिलाता है, लेकिन भारत के दो ऐसे भी जिले हैं जहां 15 अगस्त के दिन नहीं बल्कि दो दिन बाद यानि 18 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. आखिर ऐसा क्यों है और क्या है इसके पीछे का कारण चलिए जानते हैं.
क्या थी वजह
भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी लेकिन यह स्वतंत्रता पूरे भारत के लिए एकसमान नहीं थी. पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके भारत का हिस्सा नहीं थे. जिसमें मालदा और नादिया शामिल थे. इन इलाकों को उस समय पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा घोषित कर दिया गया था. जिसके चलते यहां 15 अगस्त को आजादी का जश्न नहीं मनाया गया. इन क्षेत्रों को भारत में पूरी तरह शामिल करने में तीन दिन का समय लगा जिसके बाद जब 18 अगस्त को माउटंबेटन ने बंटवारे के नक्शे में सुधार किया. तब से यहां के लोग 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं. जब 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली तो यहां जश्न के बजाय विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. यहां के लोग पाकिस्तान में शामिल होने से हैरान थे.
नक्शे में हुआ सुधार
इस स्थिति को ठीक करने के लिए पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जो उस समय एक प्रमुख नेता थे और नदिया के शाही परिवार जैसे प्रभावशाली लोगों ने ब्रिटिश प्रशासन पर दबाव डाला. उनकी मांग थी कि इन क्षेत्रों को भारत में शामिल किया जाए. इस मुद्दे को लेकर तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन तक बात पहुंची और उन्होंने बंटवारे के नक्शे में सुधार का आदेश दिया. 17 अगस्त 1947 की रात को यह सुधार पूरा हुआ और इन क्षेत्रों को आधिकारिक रूप से भारत का हिस्सा घोषित किया गया. इस कारण, नदिया और मालदा में 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
क्या है स्वतंत्रता दिवस का महत्व
बता दें कि 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराया और अपना ऐतिहासिक भाषण दिया. यह दिन भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत थी. स्वतंत्रता दिवस का महत्व केवल आजादी की प्राप्ति तक सीमित नहीं है. यह हमें उन बलिदानों की याद दिलाता है, जो असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों ने दिए. यह दिन हमें एकजुटता, राष्ट्रीय गर्व और देश के प्रति कर्तव्य की भावना को मजबूत करता है. हर साल 15 अगस्त को लाल किले पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं. इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, परेड और देशभक्ति के गीतों का आयोजन होता है. यह दिन हमें लोकतंत्र, समानता और भाईचारे के मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है.
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