यूनाइडेट स्टेट ऑफ अमेरिका नौकरी या रहने के मामले में भारतीयों समेत बाकी देशों के नागरिकों के लिए पहली पसंद है. हालांकि अमेरिका में ग्रीन कार्ड यानी स्थायी निवासी कार्ड पाना इतना आसान भी नहीं होता है. इसके लिए अमेरिकी सरकार द्वारा एक लंबी प्रकिया है, जिसका पालन करना होता है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि अमेरिकी में स्थाई निवासी के लिए ग्रीन कार्ड मिलता है, तो बाकी देशों में कौन सा कार्ड मिलता है. 


अमेरिका 


अमेरिका बसने के लिहाज से भारतीयों की पहली पसंद है.एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में 59 हजार से ज्यादा भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता ली है. अमेरिका की नागरिकता लेने वालों में भारतीय दूसरे नंबर पर हैं. किसी विदेशी को अमेरिकी नागरिकता हासिल करने से पहले ग्रीन कार्ड लेना होता है. ग्रीन कार्ड को परमानेंट रेसिडेंट कार्ड भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक ग्रीन कार्ड के लिए हर देश का अलग-अलग कोटा होता है. 


कनाडा


बता दें कि अमेरिका के बाद कनाडा भारतीयों के लिए दूसरा सबसे पसंदीदा देश बनकर उभरा है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ने के बाद सबसे ज्यादा अमेरिका फिर कनाडा की नागरिकता ले रहे हैं.बता दें कि कनाडा में स्थाई निवासी होने के लिए कनाडा का ग्रीन कार्ड होना जरूरी है.   


आस्ट्रेलिया 


अमेरिका और कनाडा के बाद भारतीयों की पसंद आस्ट्रेलिया है. हालांकि आस्ट्रेलिया में भी नागरिकता पाना इतना आसान नहीं होता है. भारत समेत कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों का अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया में रहने का सपना होता है. अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया में आने की अनुमति दी जाती है, वहीं परमानेंट रेजिडेंट के लिए जनरल स्किल्ड माईग्रेशन (जीएसएम) एक पूरी तरह से अलग और अधिक जटिल प्रक्रिया है. यह डिपार्टमेंट ऑफ इमिग्रेशन एंड सिटिज़नशिप (डीआईएसी) द्वारा चलाया जाता है. आस्ट्रेलिआ में स्थाई निवासी बनने के लिए पीआर कार्ड (परमानेंट एड्रेस) होना जरूरी है. 


ब्रिटेन


अमेरिका,कनाडा, आस्ट्रेलिया के बाद भारतीयों की चौथी पसंद ब्रिटेन है. लेकिन ब्रिटेन में भी नागरिकता इतनी आसानी से नहीं मिलती है. बता दें कि पहले ब्रिटेन की नागरिकता पाने के लिए 5 साल तक यूके में रहने के बाद कोई भी बाहरी व्यक्ति नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता था. लेकिन अब यूके की नागरिकता पाने के लिए आवेदनकर्ता को अलग-अलग प्वाइंट दिए जाते हैं.  इसके अलावा बाकी देशों के अलग-अलग नियम हैं. 


 


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